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राज्यसभा सांसद संजय सिंह क्यों हुए निलंबित, क्या है निलंबन के नियम

Sanjay Singh AAP

द लोकतंत्र : आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह को सोमवार को उच्च सदन (राज्यसभा) में हंगामा और आसन के निर्देशों का उल्लंघन करने के लिए पूरे मॉनसून सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया है। दरअसल, सोमवार को मणिपुर मुद्दे को लेकर राज्यसभा में आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह सभापति जगदीप धनखड़ के आसन यानी वेल के पास जाकर बहस करने लगे। सभापति ने उन्हें वापस जाने के लिए कहा, लेकिन वे नहीं माने। इसके बाद संजय सिंह को पूरे मानसून सत्र के लिए सस्पेंड कर दिया गया। संजय सिंह को पिछले साल भी सस्पेंड किया गया था।

अपने निलंबन के विरोध में राज्यसभा सांसद संजय सिंह संसद में ही गाँधी प्रतिमा के सामने धरने पर बैठ गए हैं। निलंबित होने के बाद संजय सिंह ने कहा कि वह अपना विरोध जारी रखेंगे क्योंकि सरकार मणिपुर मामले पर बोलने को तैयार नहीं है।

एक सांसद जो कुछ भी कहता है वो राज्यसभा और लोकसभा की रूल बुक से कंट्रोल होता है। इस पर सिर्फ लोकसभा स्पीकर और राज्यसभा के सभापति ही कार्रवाई कर सकते हैं। ऐसे में राज्यसभा सांसद के निलंबन के पीछे कौन से नियम का उपयोग किया गया ? संसद से निलंबन का नियम क्या है? यह सबकुछ आपको बताते हैं :

किसी सांसद के निलंबन के बाद क्या होता है?

दरअसल, निलंबन की अधिकतम अवधि शेष सत्र के लिए होती है। जो सदस्य निलंबित हैं, वे चैंबर में प्रवेश करने या समिति की बैठकों में भाग नहीं ले सकते हैं। वह चर्चा या प्रस्तुतिकरण के लिए नोटिस नहीं दे सकते। इसके अलावा सदस्य अपने सवालों का जवाब पाने का अधिकार खो देता है।

किन नियमों के तहत होता है निलंबन ?

नियम 373 : इस नियम के मुताबिक, अध्यक्ष के पास यह अधिकार है कि यदि कोई सदस्य बुरा व्यवहार करता है तो वह उसे तुरंत सदन छोड़ने के लिए कह सकता है। जिन सदस्यों को जाने का आदेश दिया गया है उन्हें तुरंत चले जाना चाहिए और बाकी बैठक के लिए वापस नहीं आना चाहिए।

नियम 374 : इसके तहत, अध्यक्ष ऐसे सदस्य का नाम ले सकता है जो अध्यक्ष के आदेश की अवज्ञा करते हुए या अनुचित तरीके से कार्य करते हुए लगातार और जानबूझकर सदन की कार्यवाही में बाधा डालता है। इस नियम के अनुसार जिस सदस्य को निलंबित किया गया है उसे तुरंत सदन छोड़ देना चाहिए।

नियम 374ए : इस नियम को दिसंबर 2001 में नियम पुस्तिका में शामिल किया गया था। घोर उल्लंघन या गंभीर आरोप के मामले में, अध्यक्ष द्वारा नामित किए जाने पर सदस्य को तुरंत और खुद से लगातार पांच बैठकों या सत्र की अवधि, जो भी कम हो, के लिए सदन की सेवा से निलंबित कर दिया जाता है।

नियम 255 (राज्यसभा) : सदन का पीठासीन अधिकारी राज्यसभा की प्रक्रिया के सामान्य नियमों के नियम 255 के तहत संसद सदस्य का निलंबन लागू कर सकता है।

नियम 256 (राज्यसभा ) : यह सदस्यों के निलंबन का प्रावधान करता है। सभापति किसी सांसद को सत्र के शेष समय से अधिक की अवधि के लिए संसद से निलंबित कर सकते हैं।

कैसे और किन वजहों से हुआ राज्यसभा सांसद संजय सिंह का निलंबन ?

सोमवार को विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच सभापति जगदीप धनखड़ ने प्रश्नकाल शुरू करने की घोषणा की। हंगामे के बीच प्रश्नकाल कुछ मिनट तक चला। इसी बीच राज्यसभा सांसद संजय सिंह वेल में आ गए और सभापति की ओर इशारा किया। सभापति ने सबसे पहले उन्हें अपनी सीट पर वापस जाने के लिए कहा। लेकिन जब उन्होंने ऐसा नहीं किया तो जगदीप धनखड़ ने कहा- मैं संजय सिंह का नाम लेता हूं। सत्तापक्ष उनके खिलाफ प्रस्ताव लाए।

यह भी पढ़ें : PM मोदी के बयान पर राहुल बोले – आप हमें जो चाहें बुलाएं, लेकिन हम INDIA हैं

सभापति द्वारा संजय सिंह का नाम लेने के उपरांत पीयूष गोयल ने कहा कि वह संजय सिंह को निलंबित करने के लिए एक प्रस्ताव लाना चाहते हैं। गोयल ने कहा – इस तरह का व्यवहार और सदन को बाधित करना सदन की नैतिकता और नियमों के पूरी तरह से खिलाफ है। सरकार संजय सिंह को निलंबित करने के लिए एक प्रस्ताव लाना चाहती है। इसके बाद पीयूष गोयल ने आसन से संजय सिंह के खिलाफ कार्रवाई करने का आग्रह किया।

Team The Loktantra

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