द लोकतंत्र : सुप्रीम कोर्ट ने ईडी के निदेशक संजय मिश्रा के कार्यकाल बढ़ाने के सरकार के फैसले को मंजूरी दे दी हैे। ईडी निदेशक संजय मिश्रा 15-16 सितंबर की मध्य रात्रि तक पद पर बने रहेंगे। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि इसके बाद उन्हें कोई विस्तार नहीं दिया जाएगा। साथ ही अदालत ने पूछा कि क्या सरकार ये मानती है कि बाकी अधिकारी योग्य ही नहीं हैं?
सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि क्या सरकार ये मानती है कि बाकी अधिकारी योग्य नहीं हैं?
जस्टिस गवई ने स्वयं का उदाहरण देते हुए कहा कि क्या मैं कल को नहीं होऊंगा तो क्या सुप्रीम कोर्ट नहीं चलेगा? सालिसिटर जनरल ने कहा कि वह ऐसा नहीं कह रहे कि बाकी सारे अधिकारी अक्षम हैं और यह भी नहीं कह रहे कि कोई विभाग सिर्फ एक ही अधिकारी के बल पर चलता है, लेकिन कोर्ट व्यापक राष्ट्रहित को देखते हुए मामले पर विचार करे।
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तुषार मेहता ने अदालत में दलील देते हुए कहा कि आपके प्रश्न सही हैं लेकिन यहां स्थिति थोड़ी अलग है। FAFT (फाइनेंसियल एक्शन टास्क फोर्स) से जुड़े मुद्दे पर संजय मिश्रा की विशेषज्ञता है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत के प्रयासों को धक्का लगेगा। वैश्विक स्तर पर आर्थिक सुधार की दिशा में सफलता पूर्वक आगे बढ़ रहे हमारे देश की छवि पर बट्टा लग सकता है। ग्रे सूची में पहले से ही हमारे कई पड़ोसी भी हैं। सरकार सिर्फ 15 अक्तूबर तक उनके सेवा विस्तार को मंजूरी देने का आग्रह करती है।
वहीँ, याचिकाकर्ता के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि इस सरकार ने सब कुछ एक ही अधिकारी के कंधे पर डाल दिया है। जबकि सभी संस्थानों में सक्षम अधिकारियों की कमी नहीं है। ईडी प्रमुख के मातहत भी हैं। मंत्रालयों को जानकारी रहती है। लेकिन यहां तो FATF के नाम पर मनमानी हो रही है। प्रशांत भूषण ने दलील दी कि अगर संजय मिश्रा सरकार के लिए इतना ही जरूरी हैं तो सरकार उनको एडवाइजर के रुप में नियुक्त कर सकती है। उनको सेवा विस्तार देने की जरूरत क्या है?