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तेजस्वी यादव EPIC नंबर विवाद में चुनाव आयोग की जांच के घेरे में, फर्जी दस्तावेज़ का शक गहराया

Tejashwi Yadav under the scanner of Election Commission in EPIC number dispute, suspicion of fake document deepens

द लोकतंत्र/ बिहार : बिहार की राजनीति में हलचल उस समय और तेज हो गई जब राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने दावा किया कि उनका नाम नई मतदाता सूची से गायब कर दिया गया है। तेजस्वी ने इस दावे के समर्थन में अपना EPIC नंबर (वोटर आईडी नंबर) भी सार्वजनिक किया, लेकिन यह दांव अब उन्हीं पर उल्टा पड़ता दिख रहा है। चुनाव आयोग ने उनके दावे को भ्रामक बताते हुए फर्जी दस्तावेज़ की आशंका के आधार पर जांच शुरू कर दी है, जिससे तेजस्वी यादव कानूनी संकट में घिरते नजर आ रहे हैं।

तेजस्वी के आरोपों को ख़ारिज कर चुकी है EC

तेजस्वी यादव ने मीडिया और सोशल मीडिया के माध्यम से यह आरोप लगाया कि उनके पास जो वोटर आईडी है, उसका नंबर नई मतदाता सूची में मौजूद नहीं है। उन्होंने इस मुद्दे को लेकर चुनाव आयोग की निष्पक्षता और पारदर्शिता पर सवाल उठाए और दावा किया कि यह उनकी राजनीतिक पहचान को मिटाने की साजिश हो सकती है। लेकिन चुनाव आयोग ने उनके आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए पूरी स्थिति को तथ्यों के साथ सार्वजनिक किया।

चुनाव आयोग के अनुसार, तेजस्वी यादव ने 2020 के बिहार विधानसभा चुनावों के दौरान अपने शपथ पत्र में जो EPIC नंबर RAB0456228 दिया था, वही EPIC नंबर 1 अगस्त 2025 को जारी ड्राफ्ट मतदाता सूची में मौजूद है। इससे यह स्पष्ट हो गया कि तेजस्वी यादव का नाम मतदाता सूची में है और उसे हटाया नहीं गया है। विवाद की असली जड़ वह दूसरा EPIC नंबर RAB2916120 है जिसे तेजस्वी ने हाल में मीडिया के सामने प्रस्तुत किया। चुनाव आयोग ने इस EPIC नंबर को रिकॉर्ड में मौजूद न होने की बात कही है और इसे फर्जी मानते हुए गंभीरता से जांच शुरू कर दी है।

फर्जी दस्तावेज़ का उपयोग कर आयोग को गुमराह करने की कोशिश

सूत्रों के अनुसार, चुनाव आयोग इस पूरे प्रकरण को सिर्फ एक ‘तकनीकी भ्रम’ मानने को तैयार नहीं है, बल्कि यह मान रहा है कि किसी जानबूझकर प्रयास के तहत फर्जी दस्तावेज़ का उपयोग कर आयोग को गुमराह करने की कोशिश की गई है। यदि जांच में यह साबित होता है कि तेजस्वी यादव ने फर्जी EPIC नंबर का सहारा लिया, तो उनके खिलाफ लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 125A के तहत मामला दर्ज हो सकता है। इस धारा के तहत झूठे शपथ पत्र या फर्जी दस्तावेज़ प्रस्तुत करने पर छह महीने तक की सजा या जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।

इस पूरे मामले पर चुनाव आयोग ने यह भी कहा कि SIR (Special Intensive Revision) प्रक्रिया पूरी पारदर्शिता के साथ चलाई जा रही है और 1 अगस्त से 1 सितंबर तक दावे व आपत्तियां दर्ज की जा सकती हैं। आयोग ने यह खुलासा भी किया कि RJD के 47,506 बूथ स्तर के एजेंट (BLA) में से किसी ने भी अब तक कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई है। यह इस बात का संकेत है कि तेजस्वी यादव द्वारा उठाया गया मुद्दा तथ्यात्मक आधार से ज्यादा राजनीतिक बयानबाज़ी हो सकता है।

तेजस्वी के ख़िलाफ़ जाँच, सियासी करियर पर संकट

चुनाव आयोग द्वारा उठाए गए गंभीर सवालों और शुरू हुई जांच ने तेजस्वी यादव को कानूनी जांच के घेरे में ला खड़ा किया है। अगर यह साबित हो जाता है कि उन्होंने फर्जी EPIC नंबर का उपयोग किया है, तो उनके राजनीतिक करियर और विश्वसनीयता पर गंभीर असर पड़ सकता है। यह मामला अब केवल चुनावी विवाद नहीं रह गया, बल्कि एक संभावित फर्जीवाड़े और कानून के उल्लंघन का मामला बनता जा रहा है, जिसकी परिणति कानूनी कार्रवाई में हो सकती है।

इस प्रकरण ने न केवल बिहार की राजनीति में हलचल मचा दी है, बल्कि चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता और विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। तेजस्वी यादव को अब इस जांच में पूरी तरह से सहयोग करना होगा, वरना यह विवाद उनके लिए एक बड़े राजनीतिक संकट में तब्दील हो सकता है। आने वाले दिनों में चुनाव आयोग की जांच रिपोर्ट इस पूरे मामले की दिशा तय करेगी।

Team The Loktantra

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