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Raksha Bandhan 2025: रक्षाबंधन पर किन-किन को बांध सकते हैं राखी? जानें धार्मिक मान्यता और परंपरा

द लोकतंत्र: रक्षाबंधन का त्योहार भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक माना जाता है, जहां बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है और उसकी लंबी उम्र और सफलता की कामना करती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि राखी सिर्फ भाई तक सीमित नहीं है? शास्त्रों में राखी को “रक्षासूत्र” कहा गया है, और इसका अर्थ केवल खून के रिश्तों तक सीमित नहीं है। यह प्रेम, विश्वास और सुरक्षा का प्रतीक है, जिसे कई प्रकार के रिश्तों में बांधा जा सकता है।

रक्षाबंधन पर किन-किन को बांधी जा सकती है राखी?

भगवान को राखी:
शास्त्रों के अनुसार, रक्षाबंधन के दिन सबसे पहली राखी भगवान को बांधनी चाहिए। भगवान श्रीकृष्ण, गणेश जी, शिवजी या श्रीराम को राखी बांधकर उनकी कृपा और सुरक्षा का आशीर्वाद लिया जा सकता है।

गुरु और शिक्षक को राखी:
जो हमें सही मार्ग दिखाते हैं, उन्हें राखी बांधना ज्ञान और विश्वास का प्रतीक माना जाता है। महिला शिष्य अपने गुरु या शिक्षक को राखी बांध सकती हैं।

सैनिकों को राखी:
हमारे देश की सीमाओं की रक्षा करने वाले वीर सैनिकों को राखी बांधना देशभक्ति और सम्मान का प्रतीक माना जाता है। हर साल हजारों बहनें सैनिकों को राखी भेजती हैं।

भाई जैसे मित्र या रिश्तेदार:
यदि कोई पुरुष मित्र भाई की तरह स्नेह करता है, तो उसे भी राखी बांधी जा सकती है। इससे रिश्ता औपचारिक रूप से “भाई-बहन” के दायरे में आ जाता है।

पुरोहित, पंडित या पेड़-पौधे:
कुछ परंपराओं में पेड़-पौधों, पुरोहितों या गायों को भी रक्षासूत्र बांधने की परंपरा है।

    किसे नहीं बांधनी चाहिए राखी?

    • पति को राखी नहीं बांधनी चाहिए, क्योंकि पति-पत्नी का रिश्ता भाई-बहन का नहीं होता।
    • प्रेमी को भी राखी नहीं बांधनी चाहिए, क्योंकि प्रेम संबंधों में भावनात्मक समीकरण भिन्न होते हैं।
    • ससुराल पक्ष के पुरुषों को राखी बांधने से बचना चाहिए, जब तक वह भाई के समान रिश्ता न हो।
    • हालांकि, क्षेत्रीय परंपराएं और सामाजिक मान्यताएं भिन्न हो सकती हैं।

    राखी का मतलब सिर्फ कलाई पर धागा बांधना नहीं, बल्कि यह एक संस्कार है जो सुरक्षा, स्नेह और विश्वास का वादा करता है। इसलिए इस पावन अवसर पर राखी को सही भाव और परंपरा के साथ बांधना ही सही मायने में रक्षाबंधन है।

    Uma Pathak

    Uma Pathak

    About Author

    उमा पाठक ने महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ से मास कम्युनिकेशन में स्नातक और बीएचयू से हिन्दी पत्रकारिता में परास्नातक किया है। पाँच वर्षों से अधिक का अनुभव रखने वाली उमा ने कई प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों में अपनी सेवाएँ दी हैं। उमा पत्रकारिता में गहराई और निष्पक्षता के लिए जानी जाती हैं।

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