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GST Rate Cut 2025: दिवाली से पहले जीएसटी दरों में कटौती, आम जनता और MSME को मिलेगा बड़ा लाभ

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द लोकतंत्र: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 79वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले से देश को दिवाली का एक बड़ा तोहफा देने की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि दिवाली से पहले वस्तु एवं सेवा कर (GST) में बड़े सुधार किए जाएंगे, जिससे आम जनता और छोटे-मझोले उद्योग (MSME) को सीधा लाभ मिलेगा।

दिवाली पर टैक्स राहत
पीएम मोदी ने कहा कि अगली पीढ़ी के जीएसटी सुधार दिवाली से पहले लागू होंगे। इन सुधारों के तहत रोजमर्रा के इस्तेमाल वाली वस्तुओं पर कर में कमी लाई जाएगी, जिससे कीमतें घटेंगी और जनता पर टैक्स का बोझ कम होगा।

नई GST संरचना
अभी GST के चार टैक्स स्लैब (5%, 12%, 18% और 28%) हैं। लेकिन सरकार इन्हें घटाकर दो मुख्य स्लैब स्टैंडर्ड और मेरिट में बदलने की योजना बना रही है। कुछ चुनिंदा वस्तुओं पर विशेष दरें लागू होंगी।

सरकार का थ्री पिलर ब्लूप्रिंट

केंद्र सरकार ने GST सुधारों के लिए तीन मुख्य स्तंभ तय किए हैं:

ढांचागत सुधार – इनपुट और आउटपुट कर दरों को संतुलित करना, परिभाषाओं और नियमों को सरल बनाना, और टैक्स स्लैब को स्थिर रखना।
कर दरों का सरलीकरण – स्लैब घटाकर दो करना और कंपेन्सेशन सेस कम करना, जिससे वित्तीय स्थिति बेहतर हो।
जीवनयापन में आसानी – MSME और स्टार्टअप को बढ़ावा देना, निर्यातकों के लिए रिफंड प्रक्रिया आसान बनाना और पहले से भरे रिटर्न की सुविधा देना।

MSME और आम जनता को लाभ
इन सुधारों से न केवल आम लोगों के खर्चों में कमी आएगी, बल्कि MSME सेक्टर को भी फायदा होगा। कच्चे माल पर कम टैक्स से उत्पादन लागत घटेगी, जिससे प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।

GST के 8 साल बाद बड़ा बदलाव
GST पहली बार 1 जुलाई 2017 को लागू किया गया था। 8 साल में सरकार का मासिक कलेक्शन करीब 2 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है। अब सरकार का लक्ष्य टैक्स ढांचे को और आसान बनाकर कारोबार और उपभोक्ताओं दोनों के लिए लाभकारी माहौल बनाना है।

दिवाली से पहले होने वाली GST दरों में कटौती निश्चित रूप से देश की अर्थव्यवस्था में सकारात्मक बदलाव लाएगी। आम जनता को सस्ती वस्तुएं मिलेंगी, जबकि MSME सेक्टर को विकास का नया अवसर मिलेगा।

Team The Loktantra

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लोकतंत्र की मूल भावना के अनुरूप यह ऐसा प्लेटफॉर्म है जहां स्वतंत्र विचारों की प्रधानता होगी। द लोकतंत्र के लिए 'पत्रकारिता' शब्द का मतलब बिलकुल अलग है। हम इसे 'प्रोफेशन' के तौर पर नहीं देखते बल्कि हमारे लिए यह समाज के प्रति जिम्मेदारी और जवाबदेही से पूर्ण एक 'आंदोलन' है।

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