द लोकतंत्र: हिंदू धर्म में गणेश चतुर्थी का त्योहार विशेष महत्व रखता है। भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से शुरू होकर अनंत चतुर्दशी तक चलने वाला यह पर्व दस दिनों तक श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दौरान घरों, मंदिरों और पंडालों में भगवान गणेश की प्रतिमाएं स्थापित की जाती हैं और भक्त विधिविधान से पूजा करते हैं।
इस वर्ष गणेश चतुर्थी 2025 का शुभारंभ बुधवार, 27 अगस्त से हो रहा है। इस दिन सुबह से ही भक्त बप्पा की स्थापना की तैयारियों में जुट जाते हैं। शुभ मुहूर्त के अनुसार, गणेश स्थापना का समय सुबह 11:05 से दोपहर 1:40 बजे तक रहेगा।
गणेश चतुर्थी के पहले दिन क्या करें?
पूजा स्थल की सफाई और सजावट करें: गणेश जी के आगमन से पहले पूजा स्थल को अच्छी तरह से साफ कर सजाना चाहिए।
प्रतिमा स्थापना: शुभ मुहूर्त में बप्पा की प्रतिमा स्थापित करें। प्रतिमा स्थापित करने से पहले संकल्प अवश्य लें कि आप कितने दिनों तक पूजा करेंगे: एक दिन, डेढ़ दिन, पांच दिन, सात दिन या दस दिन।
कलश स्थापना: गणेश जी की प्रतिमा के पास कलश स्थापित करना जरूरी है। कलश में गंगाजल, सुपारी, सिक्का, अक्षत, आम के पत्ते और ऊपर नारियल रखकर स्थापना करें।
व्रत और पूजा: भक्त इस दिन व्रत रखते हैं और गणपति बप्पा का श्रृंगार कर उन्हें मोदक, फल-फूल और दूर्वा चढ़ाते हैं।
पहले दिन किन कामों से बचें?
चंद्र दर्शन न करें: मान्यता है कि गणेश चतुर्थी के दिन चंद्र दर्शन से मिथ्या दोष लगता है और व्यक्ति पर झूठे आरोप लग सकते हैं।
वाद-विवाद से दूर रहें: इस दिन नकारात्मकता, झगड़ा और कटु वचन बोलने से बचना चाहिए।
तुलसी अर्पित न करें: शास्त्रों के अनुसार गणेश जी को तुलसी चढ़ाना वर्जित है।
प्रतिमा को अकेला न छोड़ें: गणेश स्थापना के बाद प्रतिमा को अकेला नहीं छोड़ना चाहिए।
बप्पा का महत्व
गणेश चतुर्थी के पहले दिन का महत्व सबसे अधिक माना जाता है क्योंकि इसे गणेश जी के घर आगमन का दिन माना जाता है। श्रद्धालु विश्वास रखते हैं कि गणपति बप्पा के आगमन से घर में सुख, समृद्धि और सौभाग्य का वास होता है।