द लोकतंत्र: हिंदू धर्म में हर व्रत और पर्व का विशेष महत्व होता है। भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को ललिता सप्तमी का व्रत रखा जाता है। यह व्रत राधा अष्टमी से एक दिन पहले आता है और इसे देवी ललिता के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। साल 2025 में ललिता सप्तमी 30 अगस्त, शनिवार के दिन पड़ रही है।
देवी ललिता राधा रानी की प्रिय सखी मानी जाती हैं। धार्मिक मान्यता है कि राधा-कृष्ण के दिव्य प्रेम में देवी ललिता का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। इस कारण से इस दिन भक्त देवी ललिता के साथ-साथ भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी की पूजा-अर्चना करते हैं।
ललिता सप्तमी 2025 तिथि और समय
तिथि: 30 अगस्त 2025, शनिवार
पर्व: ललिता सप्तमी व्रत
अगला दिन: राधा अष्टमी (31 अगस्त 2025, रविवार)
ललिता सप्तमी व्रत पूजन विधि (Lalita Saptami Vrat Pujan Vidhi)
सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
पूजा स्थल पर चौकी रखकर गणेश जी, राधा रानी और कृष्ण जी की प्रतिमा स्थापित करें।
घी का दीपक जलाएं और भगवान को फल, फूल, नारियल, हल्दी, चंदन, दूध और मिठाई अर्पित करें।
इस दिन मालपुए का भोग लगाना अत्यंत शुभ माना जाता है।
व्रत सूर्योदय से लेकर अगले दिन सूर्योदय तक रखा जाता है।
व्रतधारी इस दिन केवल एक बार भोजन करते हैं।
ललिता सप्तमी व्रत का महत्व (Importance of Lalita Saptami Vrat)
इस व्रत को संतान सुख और समृद्धि के लिए रखा जाता है।
नए विवाहित दंपत्ति इस व्रत को करने से जीवन में सुख-शांति और खुशहाली प्राप्त करते हैं।
धार्मिक मान्यता है कि व्रत करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और परिवार में सुख-समृद्धि आती है।
भक्त इस दिन देवी ललिता के आशीर्वाद से जीवन की सभी बाधाओं से मुक्ति पाते हैं।
ललिता सप्तमी का व्रत केवल देवी ललिता की पूजा का दिन नहीं है, बल्कि यह राधा-कृष्ण भक्ति का भी प्रतीक है। इस दिन व्रत रखने और विधिपूर्वक पूजा करने से न सिर्फ परिवार में खुशहाली आती है बल्कि भक्त की हर इच्छा पूरी होती है।