द लोकतंत्र: उत्तर प्रदेश सरकार ने किसानों को लेकर बड़ा फैसला लिया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर राज्य सरकार ने घोषणा की है कि 16 सितंबर से प्रदेश में राज्यव्यापी किसान पंजीकरण अभियान शुरू किया जाएगा। इस अभियान का मुख्य लक्ष्य है कि 100 प्रतिशत किसानों का पंजीकरण सुनिश्चित किया जा सके।
सरकार का कहना है कि अब तक 2.88 करोड़ किसानों को पंजीकृत करने का लक्ष्य रखा गया है। इनमें से 1.45 करोड़ से अधिक किसान यानी लगभग 50% से ज्यादा किसान पहले ही पंजीकृत हो चुके हैं।
शीर्ष पर बिजनौर, पीछे अन्य जिले
राज्य सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, बिजनौर जिला किसान पंजीकरण में सबसे आगे है। यहां 58% से अधिक किसान पंजीकरण पूरा कर चुके हैं। इसके बाद
हरदोई (57.84%),
श्रावस्ती (57.47%),
पीलीभीत (56.89%) और
रामपुर (56.72%)
पंजीकरण में शीर्ष पांच जिलों में शामिल हैं।
100% सत्यापन पूरा करने वाले जिले
राज्य सरकार के बयान के अनुसार, जिन किसानों ने अभी तक पंजीकरण नहीं कराया है, उनके दस्तावेजों का सत्यापन तेजी से किया जा रहा है। कई जिलों में 100% सत्यापन पहले ही पूरा कर लिया गया है। इनमें शामिल हैं:
अमरोहा
आज़मगढ़
बलरामपुर
एटा
जौनपुर
जिलाधिकारियों को मिले सख्त निर्देश
राज्य सरकार ने सभी जिलाधिकारियों (DMs) को निर्देश दिया है कि अगली प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना (PM-Kisan) की किस्त जारी होने से पहले 100% किसान पंजीकरण पूरा हो जाना चाहिए। इसके लिए जिला स्तर पर सूचना, शिक्षा और संचार (IEC) गतिविधियों को तेज करने के आदेश दिए गए हैं।
इसके अलावा, क्षेत्रीय राजस्व अधिकारियों को मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) जारी की गई है ताकि भूमि स्वामित्व रिकॉर्ड में आधार के अनुसार सुधार सुनिश्चित हो सके।
अभियान का उद्देश्य
इस पूरे अभियान का मकसद किसानों को सरकारी योजनाओं का सीधा लाभ देना और PM-Kisan Yojana की अगली किस्त में कोई भी पात्र किसान वंचित न रह जाए, यह सुनिश्चित करना है।
सरकार का कहना है कि जो भी किसान अभी तक पंजीकरण से बाहर रह गए हैं, उन्हें विशेष अभियान के माध्यम से शामिल किया जाएगा। जमीनी स्तर पर अधिकारी पिछड़े जिलों में जाकर किसानों से संपर्क करेंगे और उन्हें पंजीकरण की प्रक्रिया पूरी करने में मदद करेंगे।
कुल मिलाकर, यूपी सरकार का यह कदम किसानों के हित में बेहद अहम माना जा रहा है। अगर यह लक्ष्य पूरा होता है तो राज्य के सभी पात्र किसान सरकारी योजनाओं से सीधे लाभान्वित हो सकेंगे और पारदर्शिता भी बढ़ेगी।