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Rajya Sabha Session 2025: भारी हंगामे के बीच केवल 38% कामकाज, कई अहम विधेयक हुए पारित

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द लोकतंत्र: राज्यसभा का 268वां सत्र गुरुवार (21 अगस्त, 2025) को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया। इस सत्र के दौरान बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन परीक्षण (SIR) को लेकर विपक्ष के विरोध और हंगामे के चलते सदन की कार्यवाही बार-बार बाधित होती रही। हंगामे के बीच कई महत्वपूर्ण विधेयकों को संक्षिप्त चर्चा या ध्वनिमत से पारित कराया गया।

कामकाज का केवल 38 प्रतिशत
उपसभापति हरिवंश ने सत्र के समापन पर कहा कि इस दौरान सदन में केवल 41 घंटे 15 मिनट कामकाज हो पाया, जो कुल निर्धारित समय का मात्र 38.88 प्रतिशत है। उन्होंने इसे बेहद निराशाजनक बताया और सभी दलों से इस पर आत्मचिंतन करने की अपील की।

विपक्ष का हंगामा और SIR विवाद
कांग्रेस सहित विपक्ष लगातार यह मांग कर रहा था कि नियत कामकाज को स्थगित कर नियम 267 के तहत SIR मुद्दे पर चर्चा कराई जाए। लेकिन आसन ने यह कहकर अनुमति नहीं दी कि यह मामला न्यायालय के समक्ष विचाराधीन है। विपक्ष ने पूरे सत्र के दौरान नारेबाजी और विरोध जारी रखा, जिससे प्रश्नकाल और शून्यकाल एक भी दिन सामान्य ढंग से नहीं चल पाए।

अहम विधेयक जो हुए पारित

गतिरोध के बावजूद कई महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित किया गया। इनमें
ऑनलाइन खेल संवर्धन और विनियमन विधेयक, 2025
संविधान (130वां संशोधन) विधेयक, 2025
जम्मू कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2025
गोवा अनुसूचित जनजाति क्षेत्र पुनर्समायोजन विधेयक, 2025
मर्चेंट शिपिंग विधेयक, 2025
राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक, 2025
राष्ट्रीय एंटी-डोपिंग (संशोधन) विधेयक, 2025
भारतीय बंदरगाह विधेयक, 2025
खनिज एवं खनिज विकास (संशोधन) विधेयक, 2025
शामिल हैं।

सत्र की प्रमुख घटनाएं

सत्र के पहले ही दिन उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफा दे दिया।
29 और 30 जुलाई को “ऑपरेशन सिंदूर” पर विशेष चर्चा हुई, जिसका जवाब केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने दिया। इस दौरान सदन अपेक्षाकृत शांतिपूर्वक चला।
चार अगस्त को झामुमो संस्थापक शिबू सोरेन के निधन पर पूरे दिन के लिए बैठक स्थगित रही।

लगातार गतिरोध और विपक्ष के विरोध के कारण सत्र में कई अहम मुद्दों पर विस्तृत चर्चा नहीं हो पाई। हालांकि सरकार ने कम समय में भी कई विधेयक पारित कराने में सफलता पाई।

Team The Loktantra

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लोकतंत्र की मूल भावना के अनुरूप यह ऐसा प्लेटफॉर्म है जहां स्वतंत्र विचारों की प्रधानता होगी। द लोकतंत्र के लिए 'पत्रकारिता' शब्द का मतलब बिलकुल अलग है। हम इसे 'प्रोफेशन' के तौर पर नहीं देखते बल्कि हमारे लिए यह समाज के प्रति जिम्मेदारी और जवाबदेही से पूर्ण एक 'आंदोलन' है।

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