द लोकतंत्र: लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने रविवार को बिहार के अररिया में राजद नेता तेजस्वी यादव के साथ संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान राहुल गांधी ने चुनाव आयोग (EC) पर गंभीर आरोप लगाए। उनका कहना था कि विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया के जरिए वोट चोरी का प्रयास किया जा रहा है और चुनाव आयोग बीजेपी के साथ साझेदारी में काम कर रहा है।
राहुल गांधी का आरोप: “EC-BJP पार्टनरशिप”
राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि चुनाव आयोग का काम निष्पक्ष तरीके से वोटर लिस्ट तैयार करना है, लेकिन महाराष्ट्र, हरियाणा और कर्नाटक जैसे राज्यों में यह सही तरीके से नहीं हुआ। उनका कहना था कि इन राज्यों में बड़े पैमाने पर वोट चोरी हुई। उन्होंने कहा कि बिहार में यह प्रयास सफल नहीं होने दिया जाएगा।
राहुल ने कहा, “चुनाव आयोग, चुनाव आयुक्त और बीजेपी के बीच पार्टनरशिप है। SIR वोट चुराने का संस्थागत प्रयास है। लेकिन बिहार में हम वोट चोरी नहीं होने देंगे।”
फर्जी वोटरों पर सवाल
राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि अब तक चुनाव आयोग ने यह स्पष्ट नहीं किया कि एक लाख फर्जी वोटर कहां से आए। उन्होंने कहा कि जब उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस मुद्दे को उठाया तो उनसे हलफनामा मांगा गया, लेकिन जब केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने इसी तरह का आरोप लगाया तो उनसे कोई हलफनामा नहीं लिया गया।
राहुल के मुताबिक यह साफ दर्शाता है कि चुनाव आयोग की भूमिका निष्पक्ष नहीं है और वह बीजेपी के पक्ष में खड़ा है।
तेजस्वी यादव का सीधा वार
प्रेस कॉन्फ्रेंस में राजद नेता तेजस्वी यादव ने भी चुनाव आयोग पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि आज चुनाव आयोग अपनी साख खो चुका है और वह “बीजेपी का एक सेल” बनकर काम कर रहा है। तेजस्वी ने कहा कि लोकतंत्र, संविधान और वोट के अधिकार की रक्षा के लिए यह यात्रा शुरू की गई है।
तेजस्वी यादव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी निशाना साधा और आरोप लगाया कि वे समाज में नफरत फैलाने में सबसे आगे हैं। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने गया की सभा में कहा था कि चुनाव आयोग अवैध प्रवासियों के नाम वोटर लिस्ट से हटा रहा है, लेकिन चुनाव आयोग ने अपने दस्तावेजों में इसे खुद ही खारिज कर दिया।
विपक्ष की रणनीति
इस संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए राहुल गांधी और तेजस्वी यादव ने साफ संदेश दिया कि वे बिहार में वोट चोरी नहीं होने देंगे और चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाते रहेंगे। आने वाले विधानसभा और लोकसभा चुनावों के मद्देनज़र यह बयानबाजी राजनीतिक हलकों में गर्माहट पैदा कर रही है।