द लोकतंत्र: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के बीजापुर जिले में एक बार फिर नक्सलियों ने कायराना वारदात को अंजाम दिया है। शुक्रवार (29 अगस्त) की शाम को गंगालूर इलाके के नेन्द्रा गांव में तैनात शिक्षादूत कल्लू ताती को नक्सलियों ने अगवा कर लिया और देर रात उनकी हत्या कर दी। कल्लू ताती तोड़का गांव के रहने वाले थे। इस घटना के बाद पूरे क्षेत्र में दहशत और आक्रोश का माहौल है।
लगातार शिक्षादूतों को बना रहे निशाना
बंद पड़े स्कूलों को फिर से शुरू करने के बाद से अब तक नक्सली कुल 9 शिक्षादूतों की हत्या कर चुके हैं। इसमें बीजापुर में 5 और सुकमा जिले में 4 शिक्षादूत शामिल हैं। हाल ही में 27 अगस्त 2025 को सुकमा जिले के सिलगेर में शिक्षादूत लक्ष्मण बारसे की हत्या की गई थी। इससे पहले:
17 सितंबर 2024 को गोंदपल्ली के दूधी अर्जुन को मार दिया गया।
29 जून 2023 को ताड़मेटला के कवासी सुक्का को गोली मार दी गई।
लगातार हो रही इन घटनाओं से साफ है कि नक्सली शिक्षा व्यवस्था को निशाना बनाकर बच्चों के भविष्य पर हमला कर रहे हैं।
बच्चों में डर और परिवारों की चिंता
कल्लू ताती की हत्या के बाद स्थानीय लोगों में गुस्सा और डर दोनों है। ग्रामीणों का कहना है कि अब बच्चे स्कूल जाने से हिचकिचा रहे हैं। माता-पिता भी सुरक्षा कारणों से बच्चों को पढ़ने भेजने से डर रहे हैं। नक्सलियों का यह कदम शिक्षा और विकास को रोकने की सोची-समझी साजिश माना जा रहा है।
पुलिस की जांच और सुरक्षा अभियान
बीजापुर पुलिस अधिकारियों ने बताया कि प्राथमिक जांच में नक्सलियों की संलिप्तता की पुष्टि होती है। घटना के पीछे की असली वजह और इसमें शामिल नक्सलियों की पहचान की जा रही है। पुलिस और सुरक्षाबलों ने इलाके में सर्च ऑपरेशन शुरू कर दिया है।
सरकार और सुरक्षा बलों का रुख
छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के खिलाफ सुरक्षा अभियान लगातार तेज किया जा रहा है। पिछले कुछ महीनों में कई बड़े नक्सली मारे जा चुके हैं और कई ने आत्मसमर्पण भी किया है। सरकार का कहना है कि शिक्षा और विकास रोकने की कोशिशें सफल नहीं होंगी।
बीजापुर में शिक्षादूत की हत्या ने एक बार फिर साबित किया है कि नक्सली बच्चों के भविष्य और समाज की प्रगति के दुश्मन हैं। ग्रामीणों में गुस्सा है और लोग चाहते हैं कि सरकार इस समस्या का स्थायी समाधान निकाले।