द लोकतंत्र: सनातन धर्म में एकादशी तिथियों का विशेष महत्व माना जाता है। भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को परिवर्तिनी एकादशी (Parivartini Ekadashi) कहते हैं। इसे पद्मा एकादशी या जलझूलनी एकादशी भी कहा जाता है। मान्यता है कि इस दिन व्रत और पूजा करने से भगवान विष्णु भक्तों पर कृपा करते हैं और जीवन से सभी पाप दोष दूर होते हैं।
परिवर्तिनी एकादशी 2025 तिथि और शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार परिवर्तिनी एकादशी व्रत की शुरुआत 3 सितंबर 2025 की रात 3:53 बजे होगी और समापन 4 सितंबर 2025 की सुबह 4:21 बजे होगा। उदया तिथि के अनुसार व्रत 3 सितंबर को रखा जाएगा।
सूर्योदय: सुबह 06:00 बजे
सूर्यास्त: शाम 06:40 बजे
चंद्रोदय: शाम 03:51 बजे
चंद्रास्त: रात 02:07 बजे
ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 04:30 से 05:15 बजे
विजय मुहूर्त: दोपहर 02:27 से 03:18 बजे
गोधूलि मुहूर्त: शाम 06:40 से 07:03 बजे
निशिता मुहूर्त: रात 11:58 से 12:43 बजे
परिवर्तिनी एकादशी का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस एकादशी को भगवान विष्णु शयन मुद्रा से करवट बदलते हैं। इसीलिए इसे परिवर्तिनी एकादशी कहा जाता है। मान्यता है कि इस दिन व्रत करने से जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं और परिवार में सुख-समृद्धि आती है। लक्ष्मी-नारायण की पूजा विशेष फलदायी मानी गई है।
व्रत विधि
व्रत रखने वाले भक्त सूर्योदय से पहले स्नान करें।
भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा पीले पुष्प, तुलसी और धूप-दीप से करें।
व्रत कथा और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।
पूरे दिन फलाहार या निर्जला उपवास करें।
रात्रि जागरण का भी महत्व है।
परिवर्तिनी एकादशी पर क्या दान करें?
इस पावन दिन दान-पुण्य करने से व्रत का फल कई गुना बढ़ जाता है।
अन्न और भोजन का दान करने से परिवार में कभी अन्न की कमी नहीं रहती।
पीले वस्त्र दान करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
मौसमी फल दान करने से स्वास्थ्य लाभ मिलता है।
तिल का दान करने से शनि दोष से मुक्ति मिलती है।
गाय को भोजन कराना और गोदान करना सभी विघ्न दूर करता है।
घी और शहद का दान करने से जीवन में सुख-शांति आती है।
परिवर्तिनी एकादशी 2025 का व्रत हर दृष्टि से मंगलकारी है। इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा तथा दान-पुण्य से जीवन में धन, स्वास्थ्य और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।