द लोकतंत्र/ नई दिल्ली : बिहार विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस पार्टी एक बड़ी मुश्किल में फंस गई है। केरल कांग्रेस की सोशल मीडिया टीम द्वारा बिहार को “बीड़ी” से जोड़ते हुए की गई विवादित पोस्ट ने राजनीतिक हलकों में भूचाल ला दिया है। कांग्रेस ने इस पोस्ट को हटाकर माफी मांग ली है और सोशल मीडिया सेल प्रमुख वीटी बालराम ने इस्तीफा भी दे दिया है। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या इस माफी से कांग्रेस उस राजनीतिक नुकसान से बच पाएगी जो बिहार जैसे चुनावी राज्य में उसकी साख पर असर डाल सकता है।
राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा और कांग्रेस की कोशिश
बिहार में कांग्रेस अपनी पकड़ मजबूत करने की हरसंभव कोशिश कर रही है। राहुल गांधी ने बीते दिनों लगातार ‘वोटर अधिकार यात्रा’ के माध्यम से बिहार में अपनी जड़ें मज़बूत करने की कोशिश की। इस यात्रा के जरिए कांग्रेस ने युवाओं, किसानों और मजदूरों के बीच अपनी पकड़ मजबूत बनाना चाहा।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बिहार में कांग्रेस के लिए यह चुनाव बेहद अहम हैं क्योंकि लंबे समय से यहां पार्टी कमजोर रही है। ऐसे में, जब राहुल गांधी अपनी छवि और पार्टी की जमीन मजबूत करने की कवायद में जुटे हैं, केरल कांग्रेस की यह गलती कांग्रेस की मेहनत पर पानी फेर सकती है।
पार्टी अध्यक्ष का बयान और माफी
केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी (KPCC) के अध्यक्ष सनी जोसेफ ने स्वीकार किया कि यह पोस्ट बड़ी गलती और लापरवाही का परिणाम थी। उन्होंने साफ किया कि पार्टी का ऐसा कोई इरादा नहीं था और पोस्ट हटाने के साथ जिम्मेदार व्यक्ति ने माफी भी मांगी है। सोशल मीडिया सेल की जिम्मेदारी संभाल रहे पूर्व विधायक वीटी बालराम ने भी इस्तीफा दे दिया है। पार्टी ने यह संदेश देने की कोशिश की है कि इस गलती को गंभीरता से लिया गया है और तुरंत कार्रवाई की गई है।
हालांकि राजनीतिक गलती चाहे कितनी भी छोटी क्यों न हो, चुनावी माहौल में विपक्षी दल उसे भुनाने से पीछे नहीं हटते। बिहार में बीजेपी और जेडीयू जैसे दल पहले से ही कांग्रेस की स्थिति कमजोर बताने में लगे रहते हैं। अब यह विवाद उन्हें कांग्रेस पर निशाना साधने का नया अवसर देगा। बिहार की जनता, जो अपनी पहचान और सम्मान को लेकर बेहद संवेदनशील मानी जाती है, इस तरह की टिप्पणी को गंभीरता से ले सकती है।
क्या माफी से होगा डैमेज कंट्रोल?
हालांकि कांग्रेस ने तुरंत माफी मांगकर डैमेज कंट्रोल की कोशिश की है, लेकिन चुनावी राजनीति में माफी हमेशा कारगर साबित नहीं होती। विपक्ष इस मामले को लगातार उठाकर कांग्रेस की छवि को नुकसान पहुंचा सकता है। ऐसे में यह देखना अहम होगा कि राहुल गांधी की ‘वोटर अधिकार यात्रा’ जनता का ध्यान इस विवाद से हटाकर वास्तविक मुद्दों जैसे बेरोजगारी, शिक्षा, और विकास पर केंद्रित कर पाती है या नहीं।
केरल कांग्रेस की यह गलती ऐसे समय में हुई है जब कांग्रेस बिहार में अपनी जमीन तलाश रही है। राहुल गांधी के प्रयासों पर इसका असर पड़ सकता है और विरोधी दल इसे बड़ा मुद्दा बनाने की कोशिश करेंगे। हालांकि माफी और इस्तीफे से कांग्रेस ने नुकसान को सीमित करने की कोशिश की है, लेकिन असली डैमेज कंट्रोल तभी संभव होगा जब पार्टी बिहार की जनता को यह भरोसा दिला पाए कि कांग्रेस उनकी भावनाओं का सम्मान करती है और वास्तविक मुद्दों पर उनके साथ खड़ी है।