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छत्तीसगढ़: नक्सलियों ने हथियार छोड़ने और शांति वार्ता का जताया इरादा

Chhattisgarh: Naxalites express intention to give up arms and hold peace talks

द लोकतंत्र/ रायपुर : छत्तीसगढ़ से नक्सल प्रभाव क्षेत्रों को लेकर एक अहम खबर सामने आई है। राज्य में लंबे समय से सक्रिय नक्सली संगठनों ने अब शांति की राह पकड़ने का संकेत दिया है। नक्सलियों के एक प्रवक्ता अभय ने एक प्रेस नोट जारी कर ऐलान किया कि संगठन अस्थायी रूप से हथियार छोड़ने और सरकार के साथ शांति वार्ता के लिए तैयार है।

दरअसल, नक्सली संगठन ने घोषणा की है कि वे हथियार छोड़ने और सरकार के साथ शांति वार्ता के लिए तैयार हैं। नक्सलियों के प्रवक्ता अभय की ओर से जारी एक प्रेस नोट में इस बात की पुष्टि की गई है। प्रेस नोट में नक्सलियों ने सरकार से एक महीने का समय और इस अवधि में सीजफायर की मांग की है।

नक्सलियों ने जताई वार्ता की इच्छा, रखी सीजफायर की शर्त

बता दें कि बीते 15 अगस्त 2025 को जारी प्रेस नोट में लिखा गया है कि नक्सली संगठन अस्थायी रूप से हथियारबंद संघर्ष छोड़ने का फैसला ले रहा है। प्रवक्ता अभय ने कहा कि बदलते वैश्विक और राष्ट्रीय हालात, साथ ही प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों द्वारा मुख्यधारा में शामिल होने के लगातार आह्वान को देखते हुए यह कदम उठाया गया है।

प्रेसनोट में कहा गया है कि नक्सली मार्च 2025 से ही सरकार के साथ शांति वार्ता की दिशा में गंभीर और ईमानदार कोशिश कर रहे हैं। संगठन ने यह भी स्पष्ट किया कि वे वीडियो कॉल के माध्यम से सरकार से बातचीत के लिए तैयार हैं और संपर्क बनाए रखने के लिए अपनी ई-मेल आईडी साझा की है। साथ ही, उन्होंने सरकार से आग्रह किया है कि टीवी या रेडियो के जरिए आधिकारिक जवाब दिया जाए।

जन समस्याओं के लिए राजनीतिक दलों के साथ चलेंगे – नक्सली

प्रेस नोट में नक्सल संगठन ने यह भी कहा कि जनता की समस्याओं के समाधान के लिए वे जहां तक संभव होगा, राजनीतिक दलों और सामाजिक संस्थाओं के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करेंगे। यह बयान नक्सल आंदोलन में संभावित नई दिशा की ओर इशारा करता है।

वहीं, नक्सलियों के इस कदम पर छत्तीसगढ़ सरकार ने प्रतिक्रिया दी है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की सरकार ने कहा कि राज्य में शांति और विकास स्थापित करना प्राथमिक लक्ष्य है। हालांकि, किसी भी बड़े फैसले से पहले सुरक्षा एजेंसियों से विस्तृत रिपोर्ट ली जाएगी। साथ ही, सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि प्रेस नोट की सत्यता की जांच जरूरी है, क्योंकि यह नक्सलियों की रणनीति का हिस्सा भी हो सकता है। साय सरकार ने कहा कि यदि यह पहल वास्तविक है, तो राज्य में शांति स्थापना की दिशा में यह बड़ा कदम साबित हो सकता है।

Team The Loktantra

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