द लोकतंत्र/ नई दिल्ली : अमेरिका के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) जॉन बोल्टन ने एक बार फिर पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भारत पर ऊंचे टैरिफ लगाने की नीति पर सवाल उठाए हैं। बोल्टन ने कहा कि भारत पर 50 फीसदी टैरिफ लगाना अमेरिका की “रणनीतिक गलती” थी, जिसने द्विपक्षीय व्यापार और सहयोग को कमजोर किया। उन्होंने स्पष्ट किया कि टैरिफ की बजाय संवाद और सहमति से समाधान तलाशना ज़रूरी है, जिससे दोनों देशों के बीच भरोसा और मजबूत हो सके।
टैरिफ कम करने और बातचीत बढ़ाने पर जोर
टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में जॉन बोल्टन ने कहा, टैरिफ कम करने और आगे की वार्ता के लिए रास्ता खुला रखने वाला समझौता सबसे बेहतर रहेगा। हमें टैरिफ पर आम सहमति बनाकर उसी आधार पर आगे बढ़ना चाहिए। उन्होंने सलाह दी कि राष्ट्रपति ट्रंप को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सीधे संपर्क करना चाहिए और आपसी मतभेद सुलझाकर संबंध सुधारने पर चर्चा करनी चाहिए।
रूस से तेल आयात पर उठाए सवाल
बोल्टन ने ट्रंप के उस बयान की भी आलोचना की, जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत रूस से तेल खरीदता है इसलिए उस पर 25 फीसदी अतिरिक्त टैरिफ लगाया गया। बोल्टन ने कहा, “रूस पर कोई प्रत्यक्ष टैरिफ नहीं लगाया गया, जबकि चीन, जो भारत से ज्यादा तेल खरीदता है, उस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।” उन्होंने यह भी माना कि रूस के साथ भारत के ऐतिहासिक संबंध अमेरिका के लिए नीति निर्धारण में एक चुनौती पेश करते हैं।
जॉन बोल्टन के अनुसार, दोनों देशों के बीच सहयोग बढ़ाने के लिए नेताओं के बीच व्यक्तिगत तालमेल अहम है। उन्होंने कहा, “भारत को आर्थिक रूप से नुकसान पहुंचाए बिना रूस से तेल और गैस की खरीद कम करने के कई तरीके हैं। ऐसे कदमों से भरोसा बहाल होगा और नई वार्ताओं के द्वार खुलेंगे।”
क्वाड शिखर सम्मेलन का महत्व
बोल्टन ने क्वाड समूह (भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया) के रणनीतिक महत्व को रेखांकित करते हुए सुझाव दिया कि ट्रंप को क्वाड शिखर सम्मेलन के लिए भारत की यात्रा करनी चाहिए। उनके मुताबिक, यह कदम न केवल व्यापारिक रिश्तों में नई जान डालेगा, बल्कि इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में सहयोग को भी मजबूत करेगा।
ट्रंप के मध्यस्थता दावे पर प्रतिक्रिया
हाल ही में पाकिस्तान ने “ऑपरेशन सिंदूर” के दौरान भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता को लेकर ट्रंप के दावों का खंडन किया था। इस पर बोल्टन ने कहा, “ट्रंप अक्सर अंतरराष्ट्रीय घटनाक्रमों का श्रेय लेने की कोशिश करते हैं और नोबेल शांति पुरस्कार की बात करते हैं। यह बयान इस बात का संकेत है कि उन्हें भारत के बारे में कितना कम पता है।

