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बिहार के सभी 243 सीटों पर उतारेंगे उम्मीदवार, शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने बताया क्यों जरूरी है बदलाव

Candidates will be fielded in all 243 seats, Shankaracharya Avimukteshwarananda explained why change is necessary.

द लोकतंत्र/ पटना : बिहार चुनाव 2025 से पहले सियासी हलचल तेज हो गई है। इस बार धार्मिक नेतृत्व भी सक्रिय रूप से चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी कर रहा है। शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने बड़ा ऐलान करते हुए कहा है कि वे बिहार की सभी 243 विधानसभा सीटों पर उम्मीदवार उतारेंगे। उनका यह फैसला राज्य की राजनीति में नया मोड़ लाने वाला माना जा रहा है।

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने अपनी घोषणा में साफ किया कि उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता गौ-माता की रक्षा है। उनका कहना है कि गाय भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म की आत्मा है, लेकिन बिहार में शुद्ध देसी नस्ल की गायें लगभग लुप्त हो चुकी हैं। इस संकट से निपटने के लिए उन्होंने परंपरागत धार्मिक सीमाओं से आगे बढ़कर सीधा राजनीतिक हस्तक्षेप करने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा, अब वोटर आगे आएं और गायों की रक्षा के लिए मतदान करें।

243 सीटों पर उतारेंगे ‘गौरक्षक’ उम्मीदवार

शंकराचार्य ने यह भी स्पष्ट किया कि उनकी कोई राजनीतिक पार्टी नहीं है और न ही वे किसी मौजूदा दल से गठबंधन करेंगे। इसके बावजूद वे सभी 243 विधानसभा क्षेत्रों में स्वतंत्र उम्मीदवार खड़े करने की योजना बना रहे हैं। हर सीट पर ऐसा प्रत्याशी चुना जाएगा जो गौरक्षा के प्रति समर्पित हो और जिसे उनका आशीर्वाद व समर्थन प्राप्त होगा। शंकराचार्य का कहना है कि यह कदम किसी राजनीतिक महत्वाकांक्षा का हिस्सा नहीं है, बल्कि सत्ता में रही पार्टियों की निष्क्रियता के खिलाफ एक विरोध का तरीका है।

राजनीति और गौरक्षा का संगम

दरअसल, भारत में गाय केवल एक पशु नहीं, बल्कि धार्मिक आस्था और सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक है। लंबे समय से गौरक्षा का मुद्दा भारतीय राजनीति में चर्चा का केंद्र रहा है। शंकराचार्य ने आरोप लगाया कि एक के बाद एक कई पार्टियां सत्ता में आईं, लेकिन किसी ने भी गौरक्षा के लिए ठोस कदम नहीं उठाए। उन्होंने कहा, गौ माता पर अत्याचार लगातार बढ़ रहे हैं, और अब समय आ गया है कि जनता सीधे अपने वोट से इस मुद्दे को मजबूत करे।

बता दें, स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का संदेश खासकर ग्रामीण और पारंपरिक मतदाताओं को संबोधित करता है। इन इलाकों में गाय न सिर्फ जीविका का साधन है बल्कि आस्था और संस्कृति का भी प्रतीक है। उनका यह आह्वान है कि लोग केवल उन्हीं उम्मीदवारों को वोट दें जो गाय की रक्षा को धर्म और पाप-पुण्य से जोड़कर देखते हों। माना जा रहा है कि यह संदेश बिहार की चुनावी राजनीति में नई सामाजिक ध्रुवीकरण की शुरुआत कर सकता है।

बिहार चुनाव 2025 की तैयारी

चुनाव आयोग ने अभी तक बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों का आधिकारिक ऐलान नहीं किया है, लेकिन 6 अक्टूबर तक शेड्यूल जारी होने की संभावना जताई जा रही है। तारीखों के साथ ही आदर्श आचार संहिता लागू हो जाएगी और सभी दलों की राजनीतिक गतिविधियां और भी तेज हो जाएंगी। ऐसे में शंकराचार्य का यह ऐलान चुनावी माहौल को और अधिक रोचक बना रहा है।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि शंकराचार्य का यह कदम सीधे तौर पर एनडीए और महागठबंधन दोनों के लिए चुनौती साबित हो सकता है। जहां एनडीए खुद को हिंदुत्व और गौरक्षा के मुद्दों का सबसे बड़ा पैरोकार बताता रहा है, वहीं महागठबंधन ने हमेशा सामाजिक न्याय और धर्मनिरपेक्षता को केंद्र में रखा है। ऐसे में अगर अविमुक्तेश्वरानंद समर्थित उम्मीदवार बड़ी संख्या में वोट बटोरने में सफल रहे, तो दोनों गठबंधनों के समीकरण बिगड़ सकते हैं।

यही नहीं, शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद का सभी सीटों पर लड़ने का ऐलान बताता है कि अब धार्मिक नेतृत्व केवल आध्यात्मिक दायरे तक सीमित नहीं है, बल्कि सीधे राजनीतिक हस्तक्षेप की क्षमता रखता है। बिहार जैसे राज्य में, जहां धर्म और जाति दोनों ही राजनीति की धुरी रहे हैं, वहां गौरक्षा को चुनावी मुद्दा बनाना कितना कारगर होगा यह वक़्त बताएगा।

Team The Loktantra

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