द लोकतंत्र/ पटना : बिहार की राजनीति में गर्मी बढ़ाने वाले प्रशांत किशोर पर अब केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान ने सीधा हमला बोला है। पटना में मीडिया से बातचीत करते हुए चिराग ने कहा कि प्रशांत किशोर लगातार आरोपों की झड़ी लगा रहे हैं, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि उनके पास ठोस सबूत हैं या नहीं।
उन्होंने पीके की तुलना दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से करते हुए कहा कि एक बार दिल्ली में भी यही राजनीति देखी गई थी, जब सत्ता में आने से पहले आरोपों की लंबी सूची पेश की गई थी, लेकिन बाद में उन पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
दूध का दूध, पानी का पानी होगा
चिराग पासवान ने कहा कि प्रशांत किशोर के आरोप गंभीर हैं और इनकी सच्चाई सामने आनी चाहिए। उन्होंने आगे कहा, मुझे नहीं पता कि किन तथ्यों के आधार पर पीके ये आरोप लगा रहे हैं। लेकिन जिन नेताओं पर आरोप लगाए गए हैं, वे पूरी तरह सक्षम हैं कि अपना पक्ष रखें। कुछ ने तो मानहानि का दावा भी किया है। वक्त आने पर दूध का दूध और पानी का पानी सबके सामने आ जाएगा।
प्रशांत किशोर के निशाने पर बीजेपी-जेडीयू के बड़े नेता
ज्ञात हो कि हाल के दिनों में प्रशांत किशोर ने बिहार बीजेपी और जेडीयू के कई दिग्गज नेताओं पर गंभीर आरोप लगाए हैं। इनमें बिहार बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल, पूर्व अध्यक्ष संजय जायसवाल, स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय और जेडीयू मंत्री अशोक चौधरी तक शामिल हैं। पीके का दावा है कि इनके पास बेनामी संपत्तियां हैं और कई अनियमितताएं की गई हैं। वहीं जिन नेताओं पर आरोप लगाए गए हैं, उन्होंने पीके को कानूनी नोटिस भेजते हुए मानहानि के मुकदमे दर्ज करने की तैयारी कर ली है।
चुनावी सरगर्मी के बीच आरोप-प्रत्यारोप
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 नजदीक आते ही सियासत में आरोप-प्रत्यारोप तेज हो गए हैं। प्रशांत किशोर अपने संगठन जन सुराज के मंच से लगातार खुलासे कर रहे हैं। वहीं सत्तारूढ़ दलों के नेता उन्हें केवल प्रचार की राजनीति बता रहे हैं। चिराग पासवान का यह बयान स्पष्ट संकेत है कि बीजेपी और उसके सहयोगी दल पीके की गतिविधियों को गंभीरता से ले रहे हैं, लेकिन साथ ही इसे चुनावी स्टंट भी मान रहे हैं।
चिराग ने कहा कि यह पूरा मामला जांच का विषय है। यदि प्रशांत किशोर के पास साक्ष्य हैं, तो उन्हें जांच एजेंसियों के सामने प्रस्तुत करना चाहिए। साथ ही उन्होंने यह भी जोड़ा कि राजनीति में केवल आरोप लगाकर जनता को गुमराह नहीं किया जा सकता।