द लोकतंत्र : सुहागिन महिलाओं के लिए करवाचौथ एक बड़ा और पवित्र त्योहार माना जाता है। हिंदू धर्म में इस व्रत को लेकर कई मान्यताएं और परंपराएं हैं। इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। लेकिन अक्सर महिलाओं के मन में यह सवाल उठता है कि क्या करवा चौथ के दिन शारीरिक संबंध बनाना उचित है या यह वर्जित माना गया है? चलिए जानते हैं इस विषय पर धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों दृष्टिकोणों से क्या कहा गया है।
करवा चौथ व्रत का धार्मिक महत्व
करवा चौथ हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं पूरे दिन निर्जल रहकर चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारण करती हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस व्रत से पति की आयु लंबी होती है और दांपत्य जीवन में प्रेम व स्थिरता बनी रहती है।
क्या करवा चौथ पर शारीरिक संबंध बनाना सही है?
धार्मिक दृष्टिकोण से इस दिन शारीरिक संबंध बनाना वर्जित माना गया है। पुराणों के अनुसार, करवाचौथ का व्रत एक तपस्विनी व्रत है जिसमें शरीर और मन दोनों की पवित्रता आवश्यक है। इस दिन न केवल शारीरिक संबंध से बल्कि इसके विचारों से भी दूरी बनाए रखने की सलाह दी जाती है, क्योंकि यह व्रत की पवित्रता को भंग करता है।
हालांकि, आधुनिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो इस दिन संबंध बनाने में कोई चिकित्सा संबंधी आपत्ति नहीं है। लेकिन चूंकि यह व्रत धार्मिक अनुशासन और मानसिक संयम से जुड़ा है, इसलिए लोग परंपरा और मान्यता के अनुसार ही आचरण करते हैं।
करवा चौथ के दिन क्या न करें
इस दिन पति-पत्नी के बीच विवाद या झगड़ा न हो।
किसी की निंदा, चुगली या बुराई से बचें।
काले या गहरे रंग के कपड़े न पहनें।
पूजा के समय मन को शांत रखें और नकारात्मक विचारों से दूरी बनाएं।
करवा चौथ केवल एक व्रत नहीं, बल्कि पति-पत्नी के बीच समर्पण और आस्था का प्रतीक है। धार्मिक रूप से इस दिन शारीरिक संबंध वर्जित माने गए हैं ताकि मन, वचन और कर्म तीनों से व्रत की पवित्रता बनी रहे। इसलिए इस दिन संयम और श्रद्धा के साथ व्रत का पालन करना ही सबसे उचित माना गया है।