द लोकतंत्र : केरल के प्रसिद्ध सबरीमला मंदिर में सोने की चोरी और अनियमितताओं के आरोपों ने राज्य की राजनीति में तूफान ला दिया है। कांग्रेस नेतृत्व वाले विपक्षी गठबंधन यूडीएफ (UDF) ने देवस्वम बोर्ड मंत्री वी.एन. वासवन के इस्तीफे की मांग करते हुए लगातार दूसरे दिन केरल विधानसभा की कार्यवाही बाधित कर दी।
जैसे ही सदन की कार्यवाही शुरू हुई, विपक्षी सदस्य तख्तियां लेकर नारेबाजी करने लगे और प्रश्नकाल ठप हो गया। विपक्ष के नेता वी.डी. सतीसन ने दोहराया कि जब तक मंत्री इस्तीफा नहीं देते, विपक्ष सदन नहीं चलने देगा।
इससे पहले, सोमवार को केरल उच्च न्यायालय ने सबरीमला मंदिर में द्वारपालक मूर्तियों पर लगे स्वर्ण या तांबे के आवरण में गड़बड़ी के आरोपों की विस्तृत जांच के आदेश दिए थे। अदालत ने एडीजीपी (कानून-व्यवस्था) एच. वेंकटेश की अध्यक्षता में एक विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया है। यह जांच त्रिशूर के केईपीए के सहायक निदेशक एस. शशिधरन, IPS की निगरानी में होगी और छह सप्ताह में रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए गए हैं।
मामला क्या है?
मंदिर के गर्भगृह के बाहर स्थित द्वारपालक मूर्तियों पर सोने की परत चढ़ी तांबे की शीटें लगी हैं। इन्हीं शीटों में सोने की चोरी और वजन में गड़बड़ी के आरोप लगे हैं। विपक्ष का आरोप है कि त्रावणकोर देवस्वम बोर्ड ने मरम्मत के नाम पर इन शीटों को हटाकर उन्नीकृष्णन पोट्टी नामक व्यक्ति को सौंप दिया था।
जानकारी के अनुसार, 2019 में पहली बार ये स्वर्ण-प्लेटेड पैनल मरम्मत के लिए हटाए गए थे और 39 दिन बाद लौटाए गए। लेकिन वापसी के समय 4.541 किलो सोना कम पाया गया। वहीं, सितंबर 2025 में दोबारा मरम्मत के दौरान बोर्ड ने न्यायालय की अनुमति लिए बिना पैनल हटाए, जिससे विवाद गहराया। जांच में उन्नीकृष्णन पोट्टी की बहन के तिरुवनंतपुरम स्थित घर से दो पेडस्टल बरामद किए गए।
बोर्ड ने क्या कहा?
देवस्वम बोर्ड ने सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि किसी तरह की चोरी नहीं हुई। बोर्ड के अनुसार, 14 स्वर्ण-प्लेटेड पैनलों का कुल वजन 38 किलो था, जिनमें 397 ग्राम सोना था। इनमें से 12 पैनल मरम्मत के लिए चेन्नई की “स्मार्ट क्रिएशन्स” को भेजे गए, जहां 10 ग्राम अतिरिक्त सोना जोड़ा गया। बाद में सभी पैनल अदालत के आदेशानुसार मंदिर को लौटा दिए गए, और कुल सोने की मात्रा 407 ग्राम पाई गई।
बोर्ड ने कहा कि 2019 में “स्मार्ट क्रिएशन्स” और उन्नीकृष्णन पोट्टी ने 40 साल की वारंटी दी थी, इसलिए 2025 में भी उसी प्रायोजक से मरम्मत करवाई गई। बोर्ड ने इसे राजनीतिक रूप से प्रेरित विवाद बताया है।
फिलहाल SIT जांच जारी है और अगले छह सप्ताह में रिपोर्ट आने की उम्मीद है। विपक्ष इस मामले को लेकर सरकार पर लगातार दबाव बनाए हुए है, जिससे यह मामला केरल की राजनीति में बड़ा मुद्दा बन गया है।