द लोकतंत्र : भारत इस समय दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देशों में शामिल है, लेकिन अब देश में फर्टिलिटी रेट (Fertility Rate) लगातार घट रही है। यह स्थिति जनसंख्या स्थिरता के लिहाज से चिंता का विषय बन गई है।
संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNFPA) की रिपोर्ट के अनुसार, भारत का कुल फर्टिलिटी रेट अब घटकर 1.9 बच्चे प्रति महिला रह गया है। जबकि किसी भी देश में जनसंख्या को स्थिर बनाए रखने के लिए औसत 2.1 बच्चे प्रति महिला (Replacement Level) होना जरूरी माना जाता है।
इस गिरावट का अर्थ है कि अब भारत में औसतन महिलाएं दो से कम बच्चों को जन्म दे रही हैं। कई राज्यों के मुख्यमंत्री अब लोगों से परिवार बढ़ाने की अपील तक कर रहे हैं।
महिलाएं कैसे करें Fertility Check?
फर्टिलिटी सिर्फ राष्ट्रीय आंकड़ों का मसला नहीं, बल्कि व्यक्तिगत स्वास्थ्य से जुड़ा मुद्दा भी है। महिलाएं घर पर ही कुछ आसान तरीकों से अपनी प्रजनन क्षमता का अंदाजा लगा सकती हैं।
ओव्यूलेशन प्रिडिक्टर किट (Ovulation Kit):
यह टेस्ट यूरिन में ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन (LH) का स्तर जांचता है। Mayo Clinic के अनुसार, LH का बढ़ना ओव्यूलेशन का संकेत है, यानी यह गर्भधारण के लिए सबसे अनुकूल समय होता है।
बेसल बॉडी टेम्परेचर (BBT) ट्रैकिंग:
हर सुबह उठने से पहले शरीर का तापमान नापें। ओव्यूलेशन के बाद शरीर के तापमान में हल्का इजाफा देखा जाता है, जिससे प्रजनन समय का पता लगाया जा सकता है।
सर्वाइकल म्यूकस ऑब्जर्वेशन:
ओव्यूलेशन के दौरान सर्वाइकल म्यूकस ट्रांसपेरेंट, चिपचिपा और खिंचने योग्य होता है, ठीक अंडे की सफेदी की तरह। यह प्रजनन क्षमता के उच्च स्तर का संकेत है।
पुरुष कैसे करें Fertility Check?
पुरुष भी घर पर अपनी फर्टिलिटी का प्रारंभिक टेस्ट कर सकते हैं।
इसके लिए बाजार में उपलब्ध सीमन एनालिसिस किट (Semen Analysis Kit) का उपयोग किया जा सकता है। यह टेस्ट स्पर्म की संख्या, गतिशीलता (motility) और आकार (morphology) के बारे में जानकारी देता है।
हालांकि, अगर किसी भी टेस्ट में कोई असामान्यता दिखे या गर्भधारण में कठिनाई हो रही हो, तो डॉक्टर से कंसल्ट करना जरूरी है। घर पर किए गए टेस्ट केवल प्रारंभिक संकेत देते हैं, पुख्ता निदान नहीं।
भारत में घटती फर्टिलिटी क्यों चिंता का विषय?
विशेषज्ञों के अनुसार, शहरीकरण, शिक्षा, आर्थिक दबाव और देर से विवाह जैसी वजहें फर्टिलिटी में गिरावट की मुख्य वजह हैं। अगर यह दर और गिरी, तो आने वाले वर्षों में भारत को “एजिंग पॉपुलेशन” (बुजुर्ग समाज) की चुनौती झेलनी पड़ सकती है।
भारत के लिए यह समय है जब व्यक्तिगत और सामाजिक दोनों स्तरों पर फर्टिलिटी अवेयरनेस (Fertility Awareness) को बढ़ावा दिया जाए, ताकि जनसंख्या संतुलन और स्वास्थ्य दोनों को बनाए रखा जा सके।