द लोकतंत्र : हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास की शुरुआत इस बार मंगलवार, 7 अक्टूबर 2025 से हो गई है। शरद पूर्णिमा के समापन के साथ ही इस पवित्र माह का आरंभ माना जाता है। यह महीना भगवान विष्णु का अत्यंत प्रिय होता है और इसे धर्म, दान और भक्ति का महीना कहा गया है।
कार्तिक मास में स्नान, दान, दीपदान और पूजा का विशेष महत्व बताया गया है। मान्यता है कि इस महीने भगवान विष्णु जल में निवास करते हैं और जो व्यक्ति पूरे मन से उनकी उपासना करता है, उसके जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
कार्तिक मास में आने वाले प्रमुख त्योहार
इस महीने की शुरुआत शरद पूर्णिमा के बाद से होती है और इसका समापन कार्तिक पूर्णिमा पर होता है। इस दौरान कई प्रमुख पर्व और व्रत आते हैं, जैसे
करवाचौथ
धनतेरस
दीपावली
गोवर्धन पूजा
भाई दूज
छठ पूजा
गोपाष्टमी
प्रबोधिनी एकादशी
कार्तिक पूर्णिमा
गुरु नानक जयंती
करवाचौथ से शुरू होकर छठ तक चलता है उत्सवों का सिलसिला
कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को सुहागिन महिलाएं करवाचौथ व्रत रखती हैं। इस दिन वे पति की लंबी आयु के लिए निर्जला उपवास करती हैं और चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का पारण करती हैं। इसके बाद कार्तिक की त्रयोदशी को धनतेरस मनाई जाती है, जब भगवान धन्वंतरि का जन्म हुआ था।
इसके अगले दिन नरक चतुर्दशी (छोटी दिवाली) और उसके बाद दीपावली का भव्य पर्व मनाया जाता है। अमावस्या की रात दीपों से जगमग होती है और माता लक्ष्मी व गणेश की पूजा की जाती है। दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पूजा, फिर भाई दूज और अंत में छठ पूजा तक उत्सवों का यह सिलसिला जारी रहता है।
भगवान विष्णु योगनिद्रा से होंगे जाग्रत
पौराणिक मान्यता के अनुसार, भगवान विष्णु देवशयनी एकादशी से योगनिद्रा में चले जाते हैं और चार महीने बाद देवउठनी एकादशी के दिन जागते हैं। इस वर्ष देवउठनी एकादशी 1 नवंबर 2025 (शनिवार) को पड़ रही है। इस दिन से शुभ कार्यों की पुनः शुरुआत मानी जाती है।
कार्तिक मास भक्ति, संयम और प्रकाश का प्रतीक है। इस महीने भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने से जीवन में शांति, समृद्धि और शुभ फल प्राप्त होते हैं।