Advertisement Carousel
National

डीपफेक के बढ़ते ख़तरों पर सख्त हुई मोदी सरकार! अब एआई से बना हर फेक वीडियो-फोटो होगा चिन्हित

The Modi government has taken a tough stand against the growing threat of deepfakes

द लोकतंत्र/ नई दिल्ली : कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और डीपफेक तकनीक के तेजी से बढ़ते दुरुपयोग को देखते हुए केंद्र सरकार अब सख्त कदम उठाने जा रही है। इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने सूचना प्रौद्योगिकी (IT) नियमों में संशोधन का प्रस्ताव पेश किया है, जिसके तहत सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को अब एआई या सिंथेटिक कंटेंट को स्पष्ट रूप से चिन्हित करना अनिवार्य होगा। सरकार का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि लोग असली और फर्जी सामग्री में फर्क कर सकें और डीपफेक जैसी खतरनाक प्रवृत्तियों पर अंकुश लगाया जा सके।

क्या हैं नए नियमों के मुख्य प्रावधान?

प्रस्तावित नियमों के मुताबिक, फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब और एक्स (पूर्व में ट्विटर) जैसे बड़े प्लेटफॉर्म्स को यह तय करना होगा कि यदि कोई कंटेंट कृत्रिम बुद्धिमत्ता के जरिए बनाया गया है, तो उस पर साफ तौर पर लेबल लगाया जाए। यह लेबल विजुअल कंटेंट में कम से कम 10 प्रतिशत हिस्से पर दिखना चाहिए, जबकि ऑडियो कंटेंट में शुरुआती 10 प्रतिशत अवधि तक सुनाई देना जरूरी होगा।

साथ ही, प्लेटफॉर्म्स को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि उपयोगकर्ताओं द्वारा अपलोड किया गया कंटेंट असली है या कंप्यूटर जनित। इसके लिए तकनीकी जांच और यूजर डिक्लेरेशन दोनों जरूरी होंगे।

क्यों बढ़ रही है डीपफेक को लेकर चिंता?

सरकार का कहना है कि हाल के महीनों में डीपफेक वीडियो और ऑडियो के जरिए गलत जानकारी फैलाने, राजनीतिक छवि धूमिल करने, फर्जी प्रचार करने और धोखाधड़ी जैसी घटनाओं में इजाफा हुआ है। कई मामलों में मशहूर हस्तियों की नकली आवाज़ और चेहरों का इस्तेमाल कर वीडियो बनाए गए, जिससे समाज में भ्रम और अविश्वास फैला। विशेषज्ञों के अनुसार, डीपफेक तकनीक का दुरुपयोग आने वाले समय में सूचना की विश्वसनीयता और लोकतंत्र के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन सकता है।

जनता सहित सभी स्टेक होल्डर्स से माँगे गये सुझाव

आईटी मंत्रालय ने इस मसौदे पर जनता, तकनीकी विशेषज्ञों और सोशल मीडिया कंपनियों से 6 नवंबर 2025 तक सुझाव मांगे हैं। मंत्रालय का कहना है कि इन संशोधनों का उद्देश्य फेक कंटेंट पर नियंत्रण के साथ-साथ एआई इनोवेशन को भी जिम्मेदारी के साथ आगे बढ़ाना है। सरकार चाहती है कि डिजिटल प्लेटफॉर्म पारदर्शी और जवाबदेह बनें ताकि एआई तकनीक समाज के हित में उपयोग हो, न कि गलत सूचना फैलाने या लोगों की छवि बिगाड़ने के लिए।

डीपफेक तकनीक जहां एक ओर डिजिटल क्रिएटिविटी का नया युग खोल रही है, वहीं इसके गलत इस्तेमाल ने सच और झूठ के बीच की रेखा को धुंधला कर दिया है। केंद्र सरकार का यह कदम न केवल ऑनलाइन सुरक्षा को मजबूत करेगा, बल्कि यह संदेश भी देगा कि तकनीक का इस्तेमाल जिम्मेदारी के साथ होना चाहिए — ताकि एआई इंसान की सेवा करे, न कि समाज को गुमराह करे।

Team The Loktantra

Team The Loktantra

About Author

लोकतंत्र की मूल भावना के अनुरूप यह ऐसा प्लेटफॉर्म है जहां स्वतंत्र विचारों की प्रधानता होगी। द लोकतंत्र के लिए 'पत्रकारिता' शब्द का मतलब बिलकुल अलग है। हम इसे 'प्रोफेशन' के तौर पर नहीं देखते बल्कि हमारे लिए यह समाज के प्रति जिम्मेदारी और जवाबदेही से पूर्ण एक 'आंदोलन' है।

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may also like

Sanjay Singh AAP
National

राज्यसभा सांसद संजय सिंह क्यों हुए निलंबित, क्या है निलंबन के नियम

द लोकतंत्र : आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह को सोमवार को उच्च सदन (राज्यसभा) में हंगामा और
HSBC
National

HSBC की रिपोर्ट में महंगाई का संकेत, 5 फीसदी महंगाई दर रहने का अनुमान

द लोकतंत्र : HSBC की रिपोर्ट में महंगाई के संकेत मिले हैं। एचएसबीसी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि गेहूं