द लोकतंत्र : भाई दूज (Bhai Dooj) का पवित्र पर्व मनाया जा रहा है। यह त्योहार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को आता है, जिसे यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों के माथे पर तिलक लगाकर उनकी लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। इस दिन कई लोग यमराज की पूजा भी करते हैं, जिसके दौरान दीपक जलाना एक अनिवार्य परंपरा है।
पूजा-पाठ के दौरान जलते हुए दीपक का अचानक बुझ जाना या उसकी लौ का काँपने लगना अक्सर लोगों के मन में अशुभ संकेत को लेकर डर पैदा करता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, किसी भी त्योहार पर अचानक कोई विपत्ति आने वाली हो तो दीपक की लौ काँपने लगती है या बुझ जाती है।
आइए जानते हैं कि इसके पीछे की धार्मिक और ज्योतिषीय मान्यताएं क्या हैं, और दीपक का हमारे जीवन में क्या महत्व है।
दीपक का पंचतत्वों से संबंध
धार्मिक रूप से दीपक को हमारी ही चेतना का स्वरूप माना जाता है। जिस तरह हमारा शरीर भी पंचतत्वों (पृथ्वी, जल, आकाश, वायु और अग्नि) से बना है, उसी तरह मिट्टी का दीपक भी पांच तत्वों पर आधारित है, जो उसे दिव्य बनाता है:
भूमि और जल: इसे बनाने के लिए मिट्टी को पानी से गलाया जाता है, जो भूमि और जल तत्व का प्रतीक होता है।
आकाश और वायु: इसके बाद जब ये बन जाता है, तो इसे धूप और हवा में रखकर सुखाया जाता है, जो आकाश और वायु का प्रतीक है।
अग्नि: फिर आग में तापाकर इसकी पूरी प्रतिक्रिया पूरी होती है, जो अग्नि का प्रतीक है।
धार्मिक मान्यता के मुताबिक, पूजा के वक्त मिट्टी का दीपक जलाने से व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि और साहस आता है।
दीपक बुझने की मान्यताएं
पूजा के दौरान दीपक का बुझ जाना या लौ का कांपना कई तरह के संकेत देता है, जिसे प्रायः शुभ नहीं माना जाता है:
देवी-देवता की अप्रसन्नता: दीपक का बुझना इस बात का प्रतीक है कि देवी-देवता आपसे प्रसन्न नहीं हैं, या यह दर्शाता है कि आपने पूरी श्रद्धा के साथ पूजा-पाठ नहीं की है।
नकारात्मक ऊर्जा: ज्योतिष दृष्टि के मुताबिक, इसका अर्थ यह भी हो सकता है कि आपकी मनोकामनाओं में बाधा आ रही है या आपके ऊपर नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव है, जिसस वजह से दीपक बुझ रहा है।
आने वाली विपत्ति का संकेत: कई लोग मानते हैं कि यह भविष्य में आने वाली किसी विपत्ति या चुनौती का एक तरह का पूर्व संकेत है।
दीपक फैलाता है सकारात्मक ऊर्जा
दीपक की लौ में आनंद, प्रेम, भक्ति और दिव्यता का साक्षात निवास माना गया है।
ज्योतिषीय प्रतीक: ज्योतिष के अनुसार, दीपक और मिट्टी मंगल तथा भू तत्व का प्रतीक हैं, जबकि घी समृद्धि और शुक्र का प्रतीक है, और तिल का तेल शनि का प्रतिनिधित्व करता है।
आत्मा से परमात्मा का मार्ग: यह परंपरा वैदिक काल से निरंतर चलती आ रही है और आज भी लोक जीवन में इसे उतनी ही आस्था के साथ निभाई जाती है। जब हम पूजा स्थान में दीप प्रज्वलित करते हैं, तो उसके अग्र भाग में समस्त देवताओं का वास होता है। दीपक वह माध्यम है जो आत्मा को परमात्मा से जोड़ने का मार्ग खोलता है।
ऊर्जा का संचार: जब श्रद्धा और एकाग्रता के साथ दीप जलाया जाता है, तो उसकी रौशनी से पूरे वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा और पवित्रता का संचार होता है। यही कारण है कि दीपक का निर्बाध जलना पूजा की सफलता और मनोकामना की पूर्ति का प्रतीक माना जाता है।

