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Panchak 2025: पंचक काल में क्यों नहीं होते शुभ कार्य? जानें 5 नक्षत्रों, मृत्यु पंचक के दोष निवारण और शुभ कार्यों से जुड़ी संपूर्ण जानकारी

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द लोकतंत्र : सनातन धर्म और भारतीय ज्योतिषशास्त्र में पंचक काल को एक विशेष समय अवधि माना गया है, जिसे प्रायः अशुभ और हानिकारक माना जाता है। यह वह समय होता है जब चंद्रमा पांच विशिष्ट नक्षत्रों से होकर गुजरता है, और इस दौरान शुभ कार्य, यात्रा, नए कार्यों का आरंभ और गृह निर्माण जैसे कार्यों से बचना हितकर माना गया है।

कब और कैसे बनता है पंचक काल?

ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, पंचक काल तब बनता है जब चंद्रमा कुंभ (Aquarius) और मीन (Pisces) राशि से होकर गुजरता है। यह वह अवधि होती है जब चंद्रमा निम्नलिखित पांच नक्षत्रों से होकर गुजरता है:

  1. धनिष्ठा (Dhaniṣṭhā)
  2. शतभिषा (Shatabhiṣā)
  3. पूर्वाभाद्रपद (Pūrva Bhādrapadā)
  4. उत्तराभाद्रपद (Uttara Bhādrapadā)
  5. रेवती (Revati)

इन पांच नक्षत्रों के कारण ही इसे “पंचक” कहा जाता है। यह समय लगभग पांच दिनों तक रहता है और इस दौरान कई राशियों और नक्षत्रों का प्रभाव अशुभ फल देता है।

पंचक के दौरान शुभ कार्य क्यों नहीं किए जाते?

पंचक काल के दौरान शुभ कार्यों से बचने की सलाह इसलिए दी जाती है ताकि जीवन में नकारात्मक प्रभाव न आए। मान्यता है कि पंचक की अवधि में शुरू किया गया कोई भी कार्य पाँच गुना तक बढ़ता है। इसलिए अशुभ समय में कार्य शुरू करने से उस कार्य से संबंधित अशुभ फल पाँच बार भोगना पड़ सकता है।

पंचक के पांच प्रमुख प्रकार

सप्ताह के किस दिन से पंचक शुरू हो रहा है, उसके आधार पर इसे पांच भागों में बांटा गया है, और हर पंचक का अपना अलग प्रभाव होता है:

पंचक का नामआरंभ का दिनप्रभावप्रतिकूल कार्य
रोग पंचकरविवारस्वास्थ्य के लिए हानिकारक, बीमारियां बढ़ सकती हैं।स्वास्थ्य से जुड़े जोखिम।
नृप पंचकसोमवारसरकारी कार्यों के लिए शुभ, लेकिन निजी कार्यों के लिए अशुभ।यात्रा और व्यक्तिगत शुरुआत।
चोर पंचकशुक्रवारआर्थिक नुकसान और चोरी की संभावना बढ़ाता है।आर्थिक लेनदेन, यात्रा।
मृत्यु पंचकशनिवारसबसे अशुभ, जीवन में संकट और मृत्यु तुल्य कष्ट लाता है।सभी प्रकार के शुभ और मांगलिक कार्य।
अग्नि पंचकमंगलवारअग्नि का भय, गृह निर्माण जैसे कार्यों के लिए प्रतिकूल।गृह निर्माण, छत डालना।

पंचक में किन नक्षत्रों से हानि

पंचक के दौरान इन नक्षत्रों से जुड़े कुछ विशिष्ट खतरे माने जाते हैं:

  • धनिष्ठा नक्षत्र: अग्नि का भय, आग लगने की संभावना।
  • शतभिषा नक्षत्र: झगड़े, कलह और विवाद की संभावना बढ़ती है।
  • पूर्वाभाद्रपद: सेहत बिगड़ने की आशंका।
  • उत्तराभाद्रपद: आर्थिक नुकसान का कारण बन सकता है।
  • रेवती नक्षत्र: धन हानि के योग रहते हैं।

इन नक्षत्रों के दौरान यात्रा, दक्षिण दिशा की ओर प्रस्थान या नया बिस्तर बनवाने से बचना चाहिए।

पंचक में मृत्यु और दोष निवारण

ज्योतिष में मृत्यु पंचक को सबसे गंभीर माना गया है। यदि पंचक के दौरान किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है, तो उसके साथ आटे या कुश (घास) के पांच पुतले बनाकर उनका भी अंतिम संस्कार किया जाता है। ऐसा न करने पर पंचक दोष लगने की संभावना रहती है, जिससे परिवार में पांच अन्य सदस्यों के लिए मृत्यु या संकट का कारण बन सकता है।

पंचक में करने योग्य शुभ कार्य

भले ही पंचक को प्रायः अशुभ माना जाता है, लेकिन इसमें कुछ नक्षत्र शुभ कार्यों के लिए अनुकूल भी होते हैं:

रेवती नक्षत्र: इस नक्षत्र में व्यापार, वस्त्र या आभूषण खरीदना लाभदायक रहता है।

उत्तराभाद्रपद नक्षत्र: इस नक्षत्र में सर्वार्थसिद्धि योग बनता है, जिसे शुभ माना गया है।

धनिष्ठा और शतभिषा: इन नक्षत्रों में यात्रा या मशीनरी कार्य शुभ होते हैं।

Uma Pathak

Uma Pathak

About Author

उमा पाठक ने महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ से मास कम्युनिकेशन में स्नातक और बीएचयू से हिन्दी पत्रकारिता में परास्नातक किया है। पाँच वर्षों से अधिक का अनुभव रखने वाली उमा ने कई प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों में अपनी सेवाएँ दी हैं। उमा पत्रकारिता में गहराई और निष्पक्षता के लिए जानी जाती हैं।

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