द लोकतंत्र : जम्मू पुलिस द्वारा हरियाणा के फरीदाबाद में की गई एक गोपनीय कार्रवाई ने आतंकी संगठन अंसार गजवत-उल-हिंद (AGH) के पुनर्जीवित नेटवर्क की ओर इशारा किया है। स्थानीय पुलिस के सहयोग से जम्मू-कश्मीर पुलिस की विशेष टीम ने फरीदाबाद में एक डॉक्टर के किराए के कमरे से लगभग 360 किलोग्राम अमोनियम नाइट्रेट, एक पिस्तौल, वॉकी-टॉकी और अन्य केमिकल बरामद किए हैं। विस्फोटकों की इतनी बड़ी मात्रा की बरामदगी ने राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बढ़ा दी है।
पृष्ठभूमि और गिरफ़्तारी की क्रोनोलॉजी
जांच एजेंसियों के अनुसार, यह ऑपरेशन AGH से जुड़े एक व्यापक नेटवर्क की जाँच का हिस्सा है। इस कड़ी में, दो डॉक्टरों अनंतनाग निवासी अदील अहमद राथर और पुलवामा निवासी मुज़म्मिल शकील को सहारनपुर और फरीदाबाद से गिरफ़्तार किया गया है, जबकि तीसरा डॉक्टर अभी फरार है। गिरफ़्तार डॉक्टर, अदील अहमद राथर, वही व्यक्ति है जिसके अनंतनाग मेडिकल कॉलेज (GMC) के निजी लॉकर से हाल ही में एक AK-47 राइफल बरामद हुई थी। अदील GMC में सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर के पद पर कार्यरत था और उसने 24 अक्टूबर 2024 को अपना पद छोड़ दिया था।
सरकारी बयान और नेटवर्क की व्यापकता
सूत्रों के अनुसार, सुरक्षा एजेंसियों ने इस कार्रवाई को ‘आतंकवाद के शहरी ढांचे पर एक निर्णायक प्रहार’ बताया है। अधिकारियों ने प्रारंभिक जाँच के हवाले से बताया कि यह नेटवर्क केवल कश्मीर घाटी तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके तार उत्तर प्रदेश और हरियाणा जैसे राज्यों तक फैले हुए हैं। पुलिस अब इस बात की गहनता से जाँच कर रही है कि इतनी बड़ी मात्रा में विस्फोटक फरीदाबाद जैसे शहरी केंद्र तक कैसे पहुँचे और इन डॉक्टरों की आतंकियों को साजो-सामान पहुँचाने में क्या सटीक भूमिका थी।
विशेषज्ञों की राय और सार्वजनिक निहितार्थ
आतंकवाद निरोधक मामलों के एक सेवानिवृत्त विशेषज्ञ, जो नाम न छापने की शर्त पर बात कर रहे थे, ने बताया, “यह गिरफ़्तारी स्पष्ट रूप से AGH के ‘स्लीपर सेल’ नेटवर्क को पुनर्जीवित करने के प्रयास को दर्शाती है। डॉक्टर जैसे उच्च शिक्षित पेशेवरों का इस तरह आतंकी गतिविधियों में शामिल होना और अत्यधिक विस्फोटक जमा करना, संकेत देता है कि आतंकवाद ने अब कश्मीर से बाहर शहरों में भी अपनी पैठ बनाने की कोशिश शुरू कर दी है। इसका उद्देश्य ज़ाकिर मूसा के AGH के मूल एजेंडे — यानी भारत के खिलाफ़ जिहाद और शरिया राज्य की स्थापना को आगे बढ़ाना हो सकता है।”
यह घटना दर्शाती है कि सुरक्षा बलों को अब सिर्फ़ सीमावर्ती क्षेत्रों पर ही नहीं, बल्कि देश के अंदरूनी हिस्सों, ख़ासकर बड़े शहरों में भी गुप्त रूप से सक्रिय ‘शहरी नक्सल’ या ‘अर्बन टेरर’ नेटवर्क की पहचान करने और उसे ध्वस्त करने के लिए अपनी खुफिया और निगरानी क्षमताओं को बढ़ाना होगा। आम जनता के लिए यह एक सतर्कता का आह्वान है कि वे अपने आस-पास किसी भी असामान्य या संदिग्ध गतिविधि पर तुरंत रिपोर्ट करें, क्योंकि आतंकवाद का यह ‘व्हाइट कॉलर’ रूप समाज के लिए एक गंभीर ख़तरा है।
फरीदाबाद में यह बरामदगी और गिरफ़्तारी केवल एक स्थानीय ऑपरेशन नहीं है, बल्कि यह संकेत है कि देशव्यापी स्तर पर आतंकी फंडिंग और स्लीपर सेल्स की जाँच को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। राष्ट्रीय जाँच एजेंसियों को अब इस AGH नेटवर्क के सभी आयामों, उनके फंडिंग स्रोतों और भविष्य की साजिशों को उजागर करने के लिए एक समन्वित और व्यापक कार्रवाई करने की आवश्यकता है।

