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Bihar Election: नीतीश कुमार की अभूतपूर्व जीत पर अंतरराष्ट्रीय मीडिया की नजर, विदेशी विश्लेषण में बड़े खुलासे

Bihar Election: International media eyes Nitish Kumar's unprecedented victory, major revelations in foreign analysis

द लोकतंत्र/ नई दिल्ली : बिहार का ताज़ा चुनाव (Bihar Election) सिर्फ एक राज्य का राजनीतिक फैसला नहीं रहा, बल्कि इस बार इसे दुनिया के बड़े मीडिया नेटवर्क ने एक वैश्विक जनमत संकेतक के रूप में देखा। फाइनेंशियल टाइम्स, न्यूयॉर्क टाइम्स, वाशिंगटन पोस्ट, ब्लूमबर्ग और द डिप्लोमैट जैसे अंतरराष्ट्रीय प्रकाशनों ने इस चुनावी नतीजे को भारत ही नहीं, बल्कि व्यापक लोकतांत्रिक माहौल की दिशा तय करने वाली घटना करार दिया।

अंतरराष्ट्रीय मीडिया में प्रमुख प्रश्न था कि 74 वर्षीय नीतीश कुमार ने स्वास्थ्य चिंताओं, धीमी अर्थव्यवस्था और सुस्त विकास दर के बावजूद इतनी बड़ी जीत कैसे हासिल की?

अंतरराष्ट्रीय मीडिया बिहार के जनादेश को कैसे देख रहा है?

अंतरराष्ट्रीय विश्लेषणों का एक साझा निष्कर्ष है कि बिहार का चुनाव समीकरणों, जातीय गणनाओं और सामाजिक परिवर्तन के साथ-साथ महिलाओं की बढ़ती सहभागिता, कल्याणकारी योजनाओं और स्थिर नेतृत्व की मांग से गहराई से प्रभावित हुआ। कई रिपोर्टों में यह भी कहा गया कि बिहार का यह जनादेश आने वाले वर्षों में अन्य देशों की राजनीति के लिए भी संकेतक साबित हो सकता है।

ब्रिटिश अखबार फाइनेंशियल टाइम्स में प्रख्यात विश्लेषक रुचिर शर्मा ने लिखा कि प्रचार के दौरान नीतीश कुमार की शारीरिक स्थिति को लेकर व्यापक प्रश्न उठे, लेकिन जनता ने जोखिम उठाने की बजाय मौजूदा स्थिरता को तरजीह दी। शर्मा ने इसे अमेरिका में बाइडन की कहानी से जोड़ते हुए कहा कि कभी-कभी नेता की स्थिर छवि कमजोर स्वास्थ्य से ज्यादा भारी पड़ जाती है। उनके अनुसार बिहार की जनता विकास की धीमी रफ्तार से निराश अवश्य है, लेकिन नेतृत्व परिवर्तन की अनिश्चितता से ज्यादा डरती है।

न्यूयार्क टाइम्स ने बताया महिला मतदाता NDA की जीत का मूल आधार रहीं

न्यूयॉर्क टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में मतदाता सूची विवाद को केंद्र में रखते हुए लिखा कि लाखों नाम हटाए जाने का मुद्दा चुनावी माहौल में बड़ा रहा, लेकिन अंतिम निर्णय पर इसका असर सीमित रहा। अखबार ने दावा किया कि केंद्र सरकार की महिलाओं को दी गई प्रत्यक्ष नकद सहायता योजना ने वोटिंग पैटर्न को निर्णायक रूप से प्रभावित किया। NYT के अनुसार यह योजना चुनाव की ‘टर्निंग फोर्स’ बनी और महिला मतदाता NDA की जीत का मूल आधार रहीं।

ब्लूमबर्ग ने Bihar Election 2025 को भारत में उभरती नई चुनावी अर्थव्यवस्था का उदाहरण बताया। रिपोर्ट कहती है कि बड़ी संख्या में महिलाओं को सीधे बैंक खातों में मिली आर्थिक सहायता ने पारंपरिक जातीय राजनीति को पीछे छोड़ दिया। अखबार ने दावा किया कि इस बार जाति नहीं, बल्कि डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर का असर अधिक गहरा था और यह बदलाव पुराने सामाजिक ढांचे को पुनर्परिभाषित कर रहा है।

बिहार की जीत ने NDA को आंतरिक मजबूती और राजनीतिक स्पेस दोनों प्रदान किए

वाशिंगटन पोस्ट ने इस जीत को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए एक बड़ी राहत बताया। अखबार लिखता है कि भाजपा की केंद्र सरकार सहयोगी दलों पर काफी निर्भर है, ऐसे में बिहार की जीत ने NDA को आंतरिक मजबूती और राजनीतिक स्पेस दोनों प्रदान किए। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि ग्रामीण महिलाओं के बीच नीतीश कुमार की विश्वसनीय छवि अब भी बेहद मजबूत है, और यही NDA की कोर स्ट्रेंथ बनी हुई है।

एशिया-केंद्रित पत्रिका द डिप्लोमैट ने बिहार को INDIA गठबंधन के लिए सबसे बड़ी विफलता बताया। रिपोर्ट के अनुसार RJD, कांग्रेस और वाम दलों की बड़े पैमाने पर सीटें घटने से स्पष्ट है कि विपक्ष रोजगार जैसे मुद्दों को जनता तक प्रभावशाली ढंग से नहीं पहुंचा पाया। द डिप्लोमैट ने लिखा कि बिहार में भावनात्मक लहर, स्थिर नेतृत्व की तस्कीर और महिला वोटरों का व्यापक समर्थन NDA की जीत के निर्णायक तत्व रहे। साथ ही विपक्ष को अपनी रणनीति, नेतृत्व और संगठन को पूरी तरह नए सिरे से देखने की आवश्यकता है।

कुल मिलाकर, अंतरराष्ट्रीय मीडिया का मानना है कि बिहार का जनादेश सिर्फ एक चुनावी जीत नहीं, बल्कि स्थिरता की वैश्विक राजनीति का मजबूत संकेत है जहां मतदाता बदलाव से ज्यादा भरोसे को प्राथमिकता देते दिख रहे हैं।

Team The Loktantra

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