द लोकतंत्र : भारत और चीन के बीच सीमा विवाद एक बार फिर गहरा गया है। चीन की राजधानी शंघाई के पुडोंग एयरपोर्ट पर एक अरुणाचल प्रदेश की भारतीय महिला को 18 घंटे से अधिक समय तक हिरासत में रखे जाने का गंभीर मामला सामने आया है। चीनी अधिकारियों ने महिला के भारतीय पासपोर्ट को अमान्य बताते हुए यह निराधार दावा किया कि अरुणाचल प्रदेश चीनी क्षेत्र है। इस उकसावे वाली कार्रवाई के बाद भारत सरकार ने कड़ा रुख अपनाया है और चीनी दूतावास को तत्काल डिमार्च (Demarche) जारी किया है।
भारत की ओर से कड़ा विरोध दर्ज
इस घटना की जानकारी महिला द्वारा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर साझा किए जाने के बाद भारतीय दूतावास हरकत में आया, जिसके उपरांत भारत सरकार ने सख्त प्रतिक्रिया दी।
- डिमार्च जारी: भारत ने चीन की इस कार्रवाई को द्विपक्षीय संबंधों को स्थिर करने की दिशा में चल रहे प्रयासों में अनावश्यक बाधा बताया है। इसे भारत की संप्रभुता का अपमान मानते हुए चीनी दूतावास से आधिकारिक जवाब मांगा गया है।
- स्पष्ट रुख: भारत ने पुनः स्पष्ट किया कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न और अटूट अंग है, और वहाँ के निवासियों को भारतीय पासपोर्ट पर यात्रा करने का पूरा अधिकार है। चीन के ऐसे दावे पूरी तरह से निराधार हैं।
अंतर्राष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन
भारत ने चीन के इस रवैये पर सख्त आपत्ति जताई है, खासकर इसलिए क्योंकि यह घटना अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन नियमों का उल्लंघन करती है।
- उल्लंघन: भारत ने चीन की कार्रवाई को शिकागो और मॉन्ट्रियल कन्वेंशन जैसे अंतरराष्ट्रीय नागरिक उड्डयन नियमों का स्पष्ट उल्लंघन बताया।
- आश्वासन की मांग: भारतीय विदेश मंत्रालय ने चीन से भविष्य के लिए यह आश्वासन भी मांगा है कि अरुणाचल के यात्रियों के साथ इस तरह का भेदभावपूर्ण व्यवहार दोबारा नहीं किया जाएगा।
पूरी घटना का विवरण
यह पूरी घटना शंघाई पुडोंग एयरपोर्ट पर ट्रांजिट हॉल्ट के दौरान हुई।
- हिरासत का कारण: चीनी अधिकारियों ने महिला के वैध भारतीय वीजा और पासपोर्ट को मानने से इनकार कर दिया। महिला को 18 घंटे तक हिरासत में रखा गया, जिससे उन्हें असुविधा और मानसिक तनाव का सामना करना पड़ा।
- दूतावास का हस्तक्षेप: भारतीय वाणिज्य दूतावास के तत्काल हस्तक्षेप के बाद ही महिला को देर रात अपनी आगे की यात्रा के लिए अनुमति मिल सकी।
यह घटना ऐसे समय में सामने आई है, जब दोनों देश संबंध सुधारने और सीमा पर तनाव कम करने की बात कर रहे हैं। इस तरह की उकसाने वाली कार्रवाई द्विपक्षीय बैठकों और सद्भावना के प्रयासों में अविश्वास पैदा करती है और दोनों देशों के बीच संबंधों में तनाव बढ़ाती है। भारत ने चीन को स्पष्ट संदेश दिया है कि संप्रभुता से जुड़े ऐसे मुद्दों पर कोई समझौता स्वीकार्य नहीं होगा।

