द लोकतंत्र : समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव के चचेरे भाई आर्यन यादव के विवाह समारोह के अवसर पर सैफई परिवार एक बार फिर एकजुट दिखाई दिया। इस पारिवारिक समारोह में सबसे अधिक ध्यान अपर्णा यादव (मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू) की एक तस्वीर ने खींचा, जहाँ उन्होंने वरिष्ठता और सम्मान का प्रदर्शन करते हुए समारोह में पहुँचते ही अखिलेश यादव के पैर छूकर आशीर्वाद लिया। यह दृश्य दर्शाता है कि राजनीतिक मतभेद होने के बावजूद, पारिवारिक संबंध अपनी मजबूत नींव पर कायम हैं।
अपर्णा यादव का सद्भाव भरा कदम
अपर्णा यादव, जो अपने पति प्रतीक यादव और बेटी के साथ विवाह समारोह में पहुँची थीं, ने शिष्टता और सम्मान की परंपरा का पालन किया।
- वरिष्ठों का सम्मान: सोशल मीडिया पर साझा की गई तस्वीरों में साफ देखा जा सकता है कि अपर्णा यादव और प्रतीक यादव ने अखिलेश यादव से मिलते ही उनके पैर छूए। अखिलेश यादव ने भी इस भाव का खुशी से स्वागत किया और दोनों से कुछ देर बात भी की।
- पारिवारिक संवाद: इसके उपरांत, अपर्णा यादव ने डिंपल यादव, धर्मेंद्र यादव और चाचा शिवपाल यादव सहित परिवार के अन्य सभी प्रमुख सदस्यों से भी मुलाकात की और सौहार्दपूर्ण माहौल में बातचीत की। उन्होंने दूल्हा-दुल्हन आर्यन यादव और सेरिंग को भी आशीर्वाद दिया।
यह मिलन उस भावनात्मक डोर को उजागर करता है जो यादव परिवार को एकसाथ बांधे रखती है, भले ही उनके राजनीतिक रास्ते अलग हो गए हों।
राजनीतिक विरोधाभास और व्यक्तिगत सम्मान
अपर्णा यादव का यह कदम राजनीतिक प्रेक्षकों के लिए भी महत्वपूर्ण संकेत है।
- राजनीतिक पृष्ठभूमि: यह सर्वविदित है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 से ठीक पहले, अपर्णा यादव ने समाजवादी पार्टी छोड़कर भारतीय जनता पार्टी (BJP) में शामिल हो गई थीं। इसके बाद उन्हें यूपी महिला आयोग का उपाध्यक्ष भी बनाया गया था।
- विरोधी दल की सदस्य: एक विरोधी राजनीतिक दल की सदस्य होने के बावजूद, अपर्णा यादव ने पारिवारिक गरिमा को बनाए रखा है। उन्होंने कभी भी सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव या डिंपल यादव के खिलाफ कोई सार्वजनिक बयान नहीं दिया है। इसी तरह, सपा अध्यक्ष की ओर से भी उन पर कोई टिप्पणी नहीं की गई है।
यह सद्भाव राजनीतिक प्रतिस्पर्धा को व्यक्तिगत सम्मान और पारिवारिक संबंधों के दायरे से अलग रखने की भारतीय संस्कृति की विशेषता को दर्शाता है।
इस विवाह समारोह में सपा के सांसद, विधायकों और तमाम नेताओं की उपस्थिति ने भी यह स्पष्ट कर दिया कि यादव परिवार की एकजुटता उनके राजनीतिक हितों से कहीं अधिक व्यापक है, जो उत्तर प्रदेश की राजनीति में आंतरिक शक्ति का एक महत्वपूर्ण प्रतीक है।

