द लोकतंत्र : राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में बढ़ती सर्दी के बीच जहरीली हवा से नागरिकों को लगातार जूझना पड़ रहा है। बुधवार को प्रदूषण के स्तर में मामूली सुधार दर्ज किया गया था, जिसके बाद वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने GRAP स्टेज-3 की पाबंदियों को तत्काल प्रभाव से हटा लिया था। हालांकि, गुरुवार तड़के एक बार फिर हवा में प्रदूषण का स्तर बढ़ गया है। राजधानी के ज्यादातर इलाकों में आज भी हवा 350 से 400 के बीच की ‘बेहद खराब’ श्रेणी में बनी हुई है, जिसने प्रशासन के निर्णयों पर प्रश्नचिह्न लगा दिया है।
सबसे प्रदूषित क्षेत्र: वजीरपुर और बवाना
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, गुरुवार को दिल्ली में प्रदूषण के स्तर में चिंताजनक बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
- गंभीर श्रेणी: दिल्ली का वजीरपुर और बवाना इलाका सबसे अधिक प्रभावित है। सुबह 6 बजे वजीरपुर में AQI 404 रिकॉर्ड किया गया, जबकि बवाना में यह आंकड़ा 403 रहा, जो ‘गंभीर’ श्रेणी की हवा को दर्शाता है।
- अन्य क्षेत्र: इसके अलावा, विवेक विहार (395), जहांगीर पुरी (392), आनंद विहार (386), और नरेला (386) जैसे इलाकों का हाल भी ज्यादा अच्छा नहीं है। ये सभी क्षेत्र 350 से ऊपर के AQI के साथ बेहद खराब श्रेणी में बने हुए हैं।
सर्दी और कोहरे का दोहरा वार
प्रदूषण के साथ-साथ, राजधानी में ठंड भी बढ़ती हुई दिखाई दे रही है और सुबह से आसमान में धुंध और कोहरे की एक परत छाई दिख रही है।
- विजिबिलिटी कम: प्रदूषण और पारे की गिरावट के कारण सुबह और शाम के समय विजिबिलिटी काफी कम रहती है, जिससे यातायात में भी परेशानी आ रही है।
- स्वास्थ्य जोखिम: ऐसे माहौल में साँस लेना स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक माना जाता है, खासकर उन लोगों के लिए जो श्वसन संबंधी बीमारियों या पहले से किसी स्वास्थ्य समस्या से जूझ रहे हैं।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों की सलाह
राजधानी में पिछले एक महीने से लगातार जहरीली हवा बनी हुई है, जिससे नागरिकों के फेफड़ों और हृदय पर गंभीर असर पड़ रहा है।
- घर पर रहें: हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, लोगों को चाहिए कि वे ज्यादा से ज्यादा घर पर रहें और बेहद जरूरी होने पर ही बाहर निकलें।
- मास्क का उपयोग: अगर बाहर जाना अनिवार्य है, तो N95 या FFP2 जैसे उच्च गुणवत्ता वाले मास्क का इस्तेमाल करें।
- CAQM पर सवाल: CAQM द्वारा GRAP स्टेज-3 की पाबंदियों को हटाने के बाद प्रदूषण का स्तर फिर बढ़ना, यह दिखाता है कि स्थानीय उत्सर्जन स्रोतों पर अभी भी प्रभावी नियंत्रण की आवश्यकता है और वायु गुणवत्ता में अस्थायी सुधार को स्थायी समाधान नहीं माना जाना चाहिए। प्रशासन को तत्काल प्रभाव से प्रदूषण नियंत्रण के कड़े उपाय फिर से लागू करने पर विचार करना चाहिए।

