द लोकतंत्र : दिल्ली-एनसीआर में बढ़ता वायु प्रदूषण और घना स्मॉग अब न केवल श्वसन संबंधी बीमारियों का कारण बन रहा है, बल्कि यह मानव शरीर को एक अत्यंत आवश्यक पोषक तत्व से भी वंचित कर रहा है। हवा में मौजूद धूल और धुएं की मोटी परतें सूरज की रोशनी को जमीन और त्वचा तक ठीक से पहुँचने से रोक रही हैं, जिसके कारण लोगों में विटामिन डी (Vitamin D) की कमी तेजी से देखी जा रही है। विशेषज्ञ इसे शहरी स्वास्थ्य के लिए एक गंभीर चुनौती मान रहे हैं।
विटामिन डी: क्यों है यह ‘सनशाइन विटामिन’ इतना ज़रूरी?
विटामिन डी शरीर के लिए एक आवश्यक पोषक तत्व है, जो मुख्य रूप से सूरज की रोशनी से प्राप्त होता है, इसीलिए इसे ‘सनशाइन विटामिन’ भी कहा जाता है।
- मुख्य कार्य: यह हड्डियों को मजबूत रखने, इम्युनिटी बढ़ाने, और शरीर में कैल्शियम व फास्फोरस के अवशोषण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- प्रदूषण का अवरोध: एक्सपर्ट्स बताते हैं कि दिल्ली की सर्दियों में धूंध और प्रदूषण के कारण हवा में फैला स्मॉग, सूर्य से आने वाली यूवीबी (UVB) किरणों को जमीन तक पहुँचने से रोक देता है, जिससे शरीर को पर्याप्त विटामिन डी नहीं मिल पाता है।
- स्थिति की गंभीरता: ICRIER और Anvka Foundation की एक रिपोर्ट के अनुसार, हर पाँच में से एक भारतीय में विटामिन डी की कमी पाई गई है।
लक्षण और अनुशंसित खुराक
विटामिन डी की कमी कई तरह के शारीरिक और मानसिक संकेत देती है, जिन्हें गंभीरता से लेना चाहिए।
- कमी के लक्षण: थकान, हड्डियों और पीठ में दर्द, मांसपेशियों में कमजोरी, मूड में बदलाव, बार-बार इन्फेक्शन होना, घाव का धीरे भरना और हड्डियों में दिक्कत जैसे संकेत दिखाई दे सकते हैं।
- शहरी बनाम ग्रामीण: कई रिसर्च के अनुसार, शहरों में विटामिन डी की कमी गांव की तुलना में ज्यादा है, क्योंकि लोग कमरे और दफ्तरों में ज्यादा देर तक रहते हैं और प्रदूषण रोशनी को स्किन तक पहुंचने नहीं देता है।
एक्सपर्ट्स सलाह देते हैं कि नवंबर से जनवरी के दौरान, जब धूप कम होती है:
- वयस्क (Adults): रोजाना 2000 IU (इंटरनेशनल यूनिट)
- टीनएजर्स (Teenagers): 1000 IU
- छोटे बच्चों (Children): 600 से 1000 IU
विटामिन डी के सप्लीमेंट्स लेना ज़रूरी हो जाता है।
सप्लीमेंट्स के उपयोग में सावधानी
विटामिन डी के महत्व के बावजूद, अत्यधिक सेवन भी स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक हो सकता है।
- दुष्प्रभाव: एक्सपर्ट्स के अनुसार, जरूरत से ज्यादा मात्रा में विटामिन डी सप्लीमेंट्स लेने से हाइपरकैल्सीमिया (Hypercalcemia), बार-बार पेशाब आना, कमजोरी और किडनी-स्टोन जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
अतः, दिल्ली-एनसीआर के निवासियों को न केवल प्रदूषण से बचाव के उपाय करने चाहिए, बल्कि चिकित्सक की सलाह पर विटामिन डी की जांच कराकर, संतुलित मात्रा में सप्लीमेंट्स लेने पर भी तत्काल ध्यान देना चाहिए।

