द लोकतंत्र : MP सनातन में विश्वास रखने वालों के लिए राम आस्था के पर्याय हैं। रामलला के प्राण प्रतिष्ठा के दिन (22 जनवरी) कई राज्यों में शराब की दुकानें बंद रखे जाने का शासनादेश जारी किया गया था। रामलला के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को देखते हुए यूपी, राजस्थान, असम, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश और हरियाणा में ड्राई डे घोषित था। हालाँकि मध्य प्रदेश के शराब कारोबारियों ने मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में याचिका दायर करके सरकार से अपने नुकसान के एवज में मुआवजा की मांग की।
याचिका में दलील दी गई कि जनरल लायसेंस शर्त के क्लॉज-8 के तहत कलेक्टर को यह अधिकार है कि वह आबकारी आयुक्त की स्वीकृति से ठेकेदारों को हुए नुकसान की भरपाई के रूप में मुआवजा वितरित करे।
MP हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर मुआवज़े की माँग की गई थी
दरअसल, जबलपुर के माँ नर्मदा एसोसिएट के राजीव जायसवाल और रीवा के स्मोकिंग लिकर ट्रेडर्स के विनीत कुमार तिवारी ने मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि श्री राम मंदिर अयोध्या में रामलला के प्राण-प्रतिष्ठा के अवसर पर राज्य सरकार ने मध्य प्रदेश में 22 जनवरी को ड्राय डे घोषित किया था। सरकार के निर्णय के चलते 22 जनवरी को शराब की खरीद, बिक्री व परिवहन पर पूर्णतः प्रतिबंध होने से शराब ठेकेदारों काफ़ी नुकसान हुआ है।
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वहीं, मध्यप्रदेश शासन की ओर से उपमहाधिवक्ता स्वप्निल गांगुली ने कोर्ट में दलील दी कि कलेक्टर ने अपने आदेश में स्पष्ट उल्लेख किया है कि 22 जनवरी को अयोध्या में प्राण-प्रतिष्ठा के चलते शहर में विभिन्न धार्मिक आयोजन, प्रभातफेरी, जुलूस व अन्य कार्यक्रम निर्धारित थी। शासन की ओर से जनहित में ड्राय डे घोषित किया गया था। जिला दंडाधिकारी ने आबकारी अधिनियम के प्रावधानों में प्रदत्त शक्तियों को प्रयोग करते हुए ही उक्त प्रतिबंधात्मक आदेश जारी किया था, इसलिए लायसेंसी इसके बदले मुआवजे की माँग नहीं कर सकते।
सरकार की दलील के बाद मध्यप्रदेश हाई कोर्ट के जस्टिस जीएस आहलूवालिया की एकल पीठ ने यह कहते हुए शराब ठेकेदारों की अपील खारिज कर दी कि यह निर्णय जनहित में लिया गया था।