द लोकतंत्र : PM Modi अक्सर एडवेंचर एक्टिविटी में शामिल होते नज़र आते हैं। रविवार को पीएम मोदी ने द्वारका के पंचकुई समुद्र तट पर स्कूबा डाइविंग की। स्कूबा डाइविंग करते हुए पीएम मोदी गहरे समुद्र में गए और उस स्थान पर प्रार्थना की, जहां भगवान श्री कृष्ण का जलमग्न द्वारका शहर है। द्वारका पुरी एक प्राचीन शहर था जो भगवान श्री कृष्ण से जुड़ा हुआ है। द्वारका भव्यता और समृद्धि का केंद्र था। स्कूबा डाइविंग के समय उनकी सुरक्षा में भारतीय नौसेना के अधिकारी तैनात रहे।
हालाँकि यह पहली बार नहीं है जब भारत के प्रधानमंत्री ने स्कूबा डाइविंग की हो। इसके पहले लक्षद्वीप की यात्रा के दौरान भी पीएम मोदी ने गहरे समुंदर में स्नॉर्कलिंग कर दुनिया को हैरान कर दिया था। लक्षद्वीप की तस्वीरों को सोशल मीडिया पर साझा करते हुए उन्होंने कहा था कि जो लोग एडवेंचर पसंद करते हैं, उनकी लिस्ट में लक्षद्वीप टॉप पर होना चाहिए। यही नहीं, प्रधानमंत्री मोदी ने बेयर ग्रिल्स के साथ मैन वर्सेस वाइल्ड का एक एपिसोड भी शूट किया था।
द्वारका में एडवेंचर स्पोर्ट्स और टूरिज्म को बढ़ावा देना मक़सद
पीएम मोदी का हर कदम एक सोची समझी रणनीति के तहत उठाया गया होता है। द्वारका में एडवेंचर स्पोर्ट्स और टूरिज्म को बढ़ावा देने के मकसद से पीएम मोदी ने स्कूबा डाइविंग की। इस दौरान पीएम मोदी गहरे समुद्र में गए और उस स्थान पर प्रार्थना की, जहां भगवान श्री कृष्ण का जलमग्न द्वारका शहर है। यह प्राचीन शहर भगवान श्री कृष्ण से जुड़ा हुआ है। यह समुद्र के भीतर एक ऐसा स्थान है, जो अपनी समृद्ध सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत को संजोए हुए है। पीएम मोदी ने स्कूबा डाइविंग के जरिए भगवान श्रीकृष्ण से अपने गहरे जुड़ाव को उजागर किया। उन्होंने इसको लेकर कहा कि यह एक दिव्य अनुभव था।
आज जो मैंने अनुभव किया, वो हमेशा मेरे साथ रहेगा – पीएम मोदी
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, द्वारका नगरी के दर्शन से भारत की आध्यात्मिक और ऐतिहासिक जड़ों का दुर्लभ और गहरा संबंध अनुभव हुआ। द्वारका नगरी भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ी हुई है और कभी भव्यता और समृद्धि का केंद्र थी। प्रधानमंत्री ने आगे कहा, यह सिर्फ पानी में एक डुबकी ही नहीं थी बल्कि समय यात्रा थी, जो नगरी के गौरवशाली अतीत और हिंदू धर्म के सबसे प्रतिष्ठित देवताओं में से एक के साथ इसके जुड़ाव को दर्शाती है। प्रधानमंत्री ने आस्था के तहत द्वारका नगरी को मोर पंख भी अर्पित किए। उन्होंने कहा, आज जो मैंने अनुभव किया, वो हमेशा मेरे साथ रहेगा।
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द्वारका में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा, मैं समुद्र के भीतर गया और प्राचीन द्वारका नगरी के दर्शन किए। पुरातत्वविदों ने द्वारका के बारे में काफी कुछ लिखा है। हमारे धार्मिक ग्रंथों में भी बताया गया है कि द्वारका में ऊंची ऊंची इमारतें थी और सुंदर दरवाजे थे। समुद्र के भीतर मैंने दिव्यता का अनुभव किया। मैंने द्वारकाधीश के सामने शीश झुकाया। मैं मोर के पंख भी अपने साथ लेकर गया था और उन्हें भगवान श्रीकृष्ण के चरणों में समर्पित किया। मैं हमेशा से वहां जाने का इच्छुक था और द्वारका नगरी के अवशेषों को छूना चाहता था, आज मैं भावुक हूं क्योंकि मेरा दशकों पुराना सपना पूरा हो गया है।