द लोकतंत्र : भारतीय राजनीति और न्याय जगत के लिए गुरुवार का दिन एक अपूरणीय क्षति लेकर आया, जब सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील, पूर्व मिजोरम राज्यपाल और दिवंगत नेत्री सुषमा स्वराज के पति स्वराज कौशल का 73 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वे पिछले काफी समय से बीमार चल रहे थे। हिमाचल के सोलन में जन्मे कौशल के निधन से राजनीतिक हलकों में गहरी शोक की लहर दौड़ गई है, और बांसुरी स्वराज के आवास पर विभिन्न दलों के नेताओं का जमावड़ा लगना शुरू हो गया है।
राजनीतिक और कानूनी करियर की छाप
स्वराज कौशल का सार्वजनिक जीवन असाधारण उपलब्धियों से भरा रहा। उन्होंने दिल्ली और पंजाब यूनिवर्सिटी से शिक्षा प्राप्त करने के बाद देश के सर्वोच्च न्यायालय में वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में ख्याति प्राप्त की।
- सबसे युवा राज्यपाल: कौशल को मिजोरम के राज्यपाल की जिम्मेदारी संभालने का गौरव प्राप्त हुआ। खास बात यह है कि वे यह पद प्राप्त करने वाले सबसे कम आयु के व्यक्ति बने थे, जो उनके प्रशासनिक और कानूनी कौशल का परिचायक है।
- राज्यसभा सांसद: उन्होंने करीब 6 सालों तक राज्यसभा के सांसद के रूप में सदन में अपना योगदान दिया, जहाँ उनकी कानूनी विशेषज्ञता का लाभ देश को मिला।
पारिवारिक विरासत और भावनात्मक क्षण
स्वराज कौशल का विवाह 1975 में बीजेपी की कद्दावर नेत्री और पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से हुआ था। अगस्त 2019 में सुषमा स्वराज के निधन के बाद, स्वराज कौशल अकेले पड़ गए थे, लेकिन उनकी बेटी और नई दिल्ली की सांसद बांसुरी स्वराज ने उनकी विरासत को आगे बढ़ाया।
- बांसुरी स्वराज की श्रद्धांजलि: पिता के निधन के बाद, सांसद बांसुरी स्वराज ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक भावुक पोस्ट साझा किया। उन्होंने लिखा, “आपका स्नेह, आपका अनुशासन, आपकी सरलता, आपका राष्ट्रप्रेम और आपका अपार धैर्य मेरे जीवन की वह रोशनी हैं जो कभी मंद नहीं होगी।” उन्होंने विश्वास जताया कि उनके पिता अब माँ (सुषमा स्वराज) के साथ पुनः मिल चुके हैं, ईश्वर के सान्निध्य में।
स्वराज कौशल का जीवन कानूनी सेवा, राजकीय जिम्मेदारी और पारिवारिक समर्पण का उत्कृष्ट उदाहरण था। उनका जाना राजनीतिक हलकों और उन लाखों लोगों के लिए एक बड़ी क्षति है जिन्होंने उन्हें करीब से जाना।

