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सांसद सुप्रिया सुले ने संसद में पेश किया ‘Right to Disconnect Bill 2025’, वेतनभोगी वर्ग के अधिकारों पर ज़ोर

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द लोकतंत्र : देश की संसद में निजी सदस्य विधेयकों (प्राइवेट मेंबर बिल्स) के माध्यम से वेतनभोगी वर्ग और सामाजिक न्याय से जुड़े कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर गहन चर्चा की शुरुआत हुई है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) की सांसद सुप्रिया सुले ने शुक्रवार को ‘राइट टू डिस्कनेक्ट बिल 2025’ पेश करके कार्य-जीवन संतुलन को एक विधिक अधिकार बनाने की मांग की है। इस विधेयक में ‘एम्प्लॉय वेलफेयर अथॉरिटी’ बनाने का प्रस्ताव है, जो कर्मचारियों को काम के घंटों के बाद और छुट्टियों में काम से जुड़े टेलीफोन कॉल और ईमेल से डिस्कनेक्ट होने का अधिकार प्रदान करेगा।

काम के बाद कॉल से आज़ादी

सूचना प्रौद्योगिकी के इस दौर में कर्मचारियों का अपने व्यक्तिगत जीवन में भी दफ्तर के काम से जुड़े रहना एक बड़ी समस्या बन गया है। यदि यह बिल कानून बन जाता है, तो यह उन लाखों नौकरीपेशा लोगों को बायें हाथ देगा, जो ऑफिस के बाद भी ऑफिस के ई-मेल और कॉल से परेशान रहते हैं। यह बिल काम के घंटों से अलग कॉल और ईमेल का जवाब देने से इनकार करने का अधिकार देकर कर्मचारियों के मानसिक स्वास्थ्य की रक्षा करेगा।

मासिक धर्म अवकाश और सामाजिक न्याय

सदन में सिर्फ कार्य-जीवन संतुलन ही नहीं, बल्कि कामकाजी महिलाओं के स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दे भी उठाए गए।

  • मेन्स्ट्रुअल बेनिफिट्स बिल: कांग्रेस सांसद कडियाम काव्या ने ‘मेन्स्ट्रुअल बेनिफिट्स बिल, 2024’ पेश किया, जिसमें मासिक धर्म के दौरान महिला कर्मचारियों को कार्य स्थल पर कुछ सुविधाएं देने की बात कही गई है।
  • पेड लीव की मांग: लोजपा सांसद शंभवी चौधरी ने भी कामकाजी महिलाओं और छात्राओं के लिए वेतन सहित मासिक धर्म अवकाश (Paid Menstrual Leave) के अधिकार को सुरक्षित करने के लिए एक कानून पेश किया, जो एक महत्वपूर्ण सामाजिक एवं स्वास्थ्य मुद्दा है।

अन्य महत्वपूर्ण प्राइवेट मेंबर बिल

उपरोक्त बिलों के अलावा भी, संसद में कई अन्य महत्वपूर्ण निजी सदस्य विधेयक पेश किए गए, जो देश की नीतियों को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं:

  • नीट छूट बिल: कांग्रेस सांसद मणिक्कम टैगोर ने तमिलनाडु को अंडर ग्रेजुएट मेडिकल कोर्स में प्रवेश के लिए नीट से छूट देने के लिए बिल पेश किया।
  • मृत्युदंड समाप्ति बिल: डीएमके सांसद कनिमोझी करुणानिधि ने देश में मृत्युदंड को समाप्त करने के लिए विधेयक पेश किया, जो मानवाधिकार संगठनों की एक पुरानी मांग है।
  • पत्रकार सुरक्षा बिल: सांसद विशालदादा प्रकाशबापू पाटिल ने पत्रकारों के विरुद्ध हिंसा की रोकथाम और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक कानून पेश किया।

प्राइवेट मेंबर बिल अक्सर सरकार के लिए नीतिगत दबाव बनाने और जनहित के मुद्दों को मुख्यधारा में लाने का एक मजबूत माध्यम बनते हैं। इन बिलों के माध्यम से संसद ने एक बार फिर कर्मचारी कल्याण और मानवाधिकारों पर संवेदनशील चर्चा को आगे बढ़ाया है।

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