द लोकतंत्र : दक्षिण पूर्वी एशिया के दो पड़ोसी देशों, थाईलैंड और कंबोडिया के बीच दशकों पुराना सीमा विवाद एक बार फिर हिंसक रूप ले चुका है। हाल ही में थाईलैंड ने कंबोडियाई सीमा के पास एयर स्ट्राइक की। थाईलैंड का दावा है कि कंबोडिया द्वारा सीमा को निशाना बनाने के बाद यह जवाबी कार्रवाई की गई, जिसमें एक थाई सैनिक की मौत हो गई। दोनों देश एक-दूसरे पर उस युद्धविराम को तोड़ने का आरोप लगा रहे हैं, जो अक्टूबर में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मध्यस्थता के बाद हुआ था। इस विवाद का केंद्र डांगरेक पर्वतों की चोटी पर स्थित 900 साल पुराना प्रेह विहियर शिव मंदिर है।
विवाद की जड़: फ्रांसीसी नक्शा और ICJ फैसला
11वीं शताब्दी का यह प्राचीन हिंदू मंदिर, जो अब यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है, दो देशों के राष्ट्रवादी गौरव और जमीन के झगड़े का प्रतीक बन चुका है।
- 1907 की विरासत: विवाद की शुरुआत 1907 में हुई, जब फ्रांसीसी शासन ने एक नक्शा तैयार किया, जिसमें मंदिर को कंबोडिया की सीमा में रखा गया। थाईलैंड अब इस नक्शे को खारिज करता है और 1904 की संधि का हवाला देता है, जिसमें सीमा को प्राकृतिक जल विभाजक रेखा (watershed line) के अनुसार तय करने की बात कही गई थी।
- 1962 और 2013 के फैसले: 1962 में, अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) ने मंदिर पर कंबोडिया की संप्रभुता को मान्यता दी। 2013 में, ICJ ने फिर पुष्टि की कि मंदिर और उसके आसपास का तुरंत क्षेत्र कंबोडिया का है। हालांकि, ICJ ने 4.6 वर्ग किलोमीटर के विवादित क्षेत्र को अनसुलझा छोड़ दिया।
राजनीतिक संकट और PM का हटना
यह सीमा विवाद इतना गहरा है कि इसने थाईलैंड की घरेलू राजनीति में बड़ा उलटफेर कर दिया।
- फोन कॉल लीक: पिछले महीने विवाद के दौरान थाई पीएम पैतोंगतार्न शिनावात्रा और कंबोडिया के पूर्व पीएम हुन सेन के बीच की 17 मिनट की फोन कॉल लीक हो गई थी। इस कॉल में पैतोंगतार्न द्वारा हुन सेन को ‘अंकल’ कहना और थाई सेना के कुछ कमांडरों को आक्रामक बताना राष्ट्रीय सम्मान का अपमान माना गया।
- पद त्याग: इसकी तीखी प्रतिक्रिया हुई, जिसके बाद भूमेजथाई पार्टी गठबंधन से बाहर हो गई और सरकार अल्पमत में आ गई। बढ़ते राजनीतिक दबाव के चलते 29 अगस्त को पैतोंगतार्न को पद से हटा दिया गया।
कंबोडिया के लिए यह मंदिर खमेर विरासत और सांस्कृतिक गौरव का प्रतीक है, जबकि थाईलैंड में राष्ट्रवादी समूह इसे छिना हुआ इलाका मानते हैं। जब तक यह सीमा विवाद द्विपक्षीय वार्ता के माध्यम से स्थायी रूप से नहीं सुलझता, तब तक इस क्षेत्र में शांति स्थापित होना चुनौतीपूर्ण रहेगा।

