द लोकतंत्र : पंजाब कांग्रेस ने पार्टी के वरिष्ठ नेता नवजोत सिंह सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर सिद्धू के खिलाफ कड़ा अनुशासनात्मक एक्शन लेते हुए उन्हें पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। यह फैसला उनकी लगातार चल रही बयानबाजी के संदर्भ में लिया गया है, जिसमें उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी, पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा, पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग और विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा सहित कई वरिष्ठ नेताओं पर गंभीर और वित्तीय भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष राजा वड़िंग ने स्वयं सोशल मीडिया हैंडल ‘X’ के माध्यम से इस कार्रवाई की पुष्टि की और निलंबन पत्र साझा किया।
वरिष्ठ नेताओं पर गंभीर आरोप
डॉ. नवजोत कौर सिद्धू की हालिया टिप्पणियाँ पार्टी की आंतरिक एकता के लिए बड़ा खतरा बनकर उभरी थीं।
उन्होंने खुले आम कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं पर चुनावों में टिकट बेचने का आरोप लगाया था और दावा किया कि इन नेताओं की निजी इच्छाओं और ‘बंद कमरे की राजनीति’ ने पंजाब को बर्बादी की ओर धकेला है।
लगातार बयानबाजी के क्रम में, उन्होंने 500 करोड़ रुपये में मुख्यमंत्री पद की कुर्सी बेचने जैसे अप्रत्यक्ष किन्तु गंभीर आरोप भी लगाए थे। आज ही उन्होंने राजा वड़िंग पर काउंसलर चुनाव के दौरान ₹5 करोड़ लेने के आरोप भी लगाए थे।
सिद्धू की सक्रियता पर शर्त
शनिवार को पंजाब के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया से मुलाकात के बाद, नवजोत कौर ने मीडिया से बातचीत में नवजोत सिंह सिद्धू की सक्रियता को लेकर भी एक शर्त रखी थी। उन्होंने कहा कि सिद्धू तभी सक्रिय होंगे, जब कांग्रेस उन्हें मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित करेगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि फिलहाल सिद्धू टीवी पर खूब पैसा कमा रहे हैं और पार्टी में पहले से ही पांच मुख्यमंत्री पद के चेहरे हैं। नवजोत कौर ने नेताओं पर मुख्यमंत्री भगवंत मान से सांठ-गांठ के भी आरोप लगाए थे।
पार्टी पर आंतरिक कलह का दबाव
कांग्रेस पार्टी, जो पहले से ही पंजाब में कड़े विरोध का सामना कर रही है, के लिए नवजोत कौर की ये लगातार और अत्यंत आपत्तिजनक टिप्पणियाँ संगठन की छवि को गहरा नुकसान पहुंचा रही थीं। एक वरिष्ठ पार्टी पदाधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि पार्टी के पास अनुशासनहीनता के इस चरम स्तर पर कठोर कार्रवाई करने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं बचा था। यह निलंबन सिद्धू परिवार और पंजाब कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व के बीच बढ़ते टकराव को दर्शाता है और आने वाले दिनों में राज्य की राजनीति में बड़ा बदलाव ला सकता है।

