द लोकतंत्र : देश की राजधानी दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण और जहरीले स्मॉग के कारण हालात लगातार गंभीर बने हुए हैं। इस आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए सरकार ने अब सख्त रुख अपनाते हुए कठोर निर्देश जारी किए हैं। पर्यावरण मंत्री ने स्पष्ट किया है कि गुरुवार यानी 18 दिसंबर से उन वाहनों को पेट्रोल नहीं दिया जाएगा, जिनके पास वैध प्रदूषण नियंत्रण (PUC) प्रमाण पत्र नहीं होगा। इसके अलावा, बाहरी राज्यों से आने वाले BS6 से कम उत्सर्जन मानक वाले वाहनों पर भी पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया है, और नियमों का उल्लंघन करने पर वाहनों को सीज करने की चेतावनी दी गई है।
BS6 उत्सर्जन मानक क्या है?
BS6 यानी ‘भारत स्टेज-6’, भारत का सबसे नवीनतम और सख्त उत्सर्जन मानक है। इसका मुख्य उद्देश्य वाहनों से निकलने वाले प्रदूषणकारी तत्वों को न्यूनतम करना है।
- कम प्रदूषण: BS6 इंजन को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि उनसे नाइट्रोजन ऑक्साइड ($NO_x$) और पार्टिकुलेट मैटर (PM) जैसी जहरीली गैसें पुराने वाहनों के मुकाबले बहुत कम निकलती हैं।
- लागू होने की तिथियां: BS6 मानक दो चरणों में लागू हुआ है। BS6 फेज-1 को 1 अप्रैल 2020 से लागू किया गया था। इसके बाद 1 अप्रैल 2023 से BS6 फेज-2 लागू किया गया है।
BS6 फेज-1 और फेज-2 में मुख्य अंतर
BS6 फेज-2 नियम अधिक कठोर हैं और रियल ड्राइविंग एमिशन (RDE) पर जोर देते हैं।
- तकनीकी अनिवार्यता: BS6 फेज-1 में पार्टिकुलेट फिल्टर और सेलेक्टिव कैटेलिटिक रिडक्शन जैसी तकनीक जरूरी थी।
- RDE पर फोकस: BS6 फेज-2 के तहत अब सभी वाहनों में रियल-टाइम उत्सर्जन पर नजर रखने के लिए ऑन बोर्ड डायग्नोस्टिक (OBD) सिस्टम देना अनिवार्य हो गया है। यह सिस्टम वास्तविक सड़क की स्थितियों में प्रदूषण के स्तर को जांचता है।
BS6 से पहले के मानक और प्रतिबंध
BS6 से पहले भारत में BS4 मानक वाले वाहन चलन में थे, जो अप्रैल 2017 से लागू हुए थे। BS4 से पहले BS3 (2005-2017) और उससे पहले BS1 और BS2 (2000-2005) मानक लागू थे। भारत सरकार ने प्रदूषण पर तेजी से नियंत्रण पाने के लिए BS5 मानक को छोड़ दिया था।
- दिल्ली में प्रतिबंधित वाहन: दिल्ली में बाहरी राज्यों से आने वाले उन सभी वाहनों की एंट्री पूरी तरह बंद कर दी गई है जो BS6 मानकों को पूरा नहीं करते हैं। इनमें कार, बस या ट्रक सभी शामिल हैं। हालांकि, दिल्ली में पंजीकृत पुराने वाहनों को इस प्रतिबंध से छूट मिली हुई है, परंतु उनके लिए भी PUC सर्टिफिकेट अनिवार्य है। यह सख्त कदम दिल्ली की हवा को सांस लेने योग्य बनाने की दिशा में एक बड़ा प्रशासनिक प्रयास है।

