द लोकतंत्र/ पटना : भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बनने के बाद नितिन नबीन के बिहार सरकार के मंत्री पद से इस्तीफा देने के साथ ही बिहार में मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं। पार्टी के एक व्यक्ति–एक पद के सिद्धांत के तहत नितिन नबीन ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अपना त्यागपत्र सौंप दिया है। उनके इस्तीफे के बाद पथ निर्माण विभाग और नगर विकास एवं आवास विभाग फिलहाल खाली हो गए हैं, जिससे सरकार में विभागीय पुनर्वितरण और विस्तार की संभावनाएं बढ़ गई हैं।
नितिन नबीन नीतीश सरकार में दो अहम मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। ऐसे में उनके इस्तीफे के बाद सवाल उठ रहा है कि इन विभागों का प्रभार किसे सौंपा जाएगा। राजनीतिक सूत्रों के मुताबिक 14 जनवरी से पहले मंत्रिमंडल विस्तार की संभावना कम है, लेकिन इसके बाद सरकार में फेरबदल और नए चेहरों की एंट्री हो सकती है। तब तक इन विभागों का अतिरिक्त प्रभार किसी मौजूदा मंत्री को दिया जा सकता है।
राष्ट्रीय जिम्मेदारी, राज्य में खाली पद
दो दिन पहले ही नितिन नबीन को बीजेपी का राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव एवं मुख्यालय प्रभारी अरुण सिंह ने इसकी घोषणा करते हुए बताया था कि यह नियुक्ति तत्काल प्रभाव से लागू होगी। सोमवार को नितिन नबीन ने दिल्ली स्थित बीजेपी मुख्यालय में पदभार भी ग्रहण कर लिया। इसके बाद राज्य सरकार से इस्तीफा देना संगठनात्मक अनुशासन के तौर पर देखा जा रहा है।
संगठनात्मक बदलाव और मंत्रिमंडल विस्तार का संकेत
बीजेपी संगठन में चल रहे बदलावों के बीच नितिन नबीन का इस्तीफा मंत्रिमंडल विस्तार का संकेत माना जा रहा है। हाल ही में पार्टी ने बिहार प्रदेश अध्यक्ष के पद पर भी बदलाव करते हुए संजय सरावगी को जिम्मेदारी सौंपी है। माना जा रहा है कि संगठनात्मक नियुक्तियों के बाद सरकार में भी संतुलन बनाने के लिए नए चेहरों को मौका दिया जा सकता है।
किसे मिलेगी जिम्मेदारी?
राजनीतिक हलकों में यह चर्चा है कि मंत्रिमंडल विस्तार के दौरान बीजेपी कोटे से नए मंत्रियों को शामिल किया जा सकता है या कुछ मौजूदा मंत्रियों के विभाग बदले जा सकते हैं। पथ निर्माण और नगर विकास जैसे विभाग राज्य की राजनीति में अहम माने जाते हैं, इसलिए इन पर फैसला सोच-समझकर लिया जाएगा।
कुल मिलाकर, नितिन नबीन के इस्तीफे ने बिहार सरकार में मंत्रिमंडल विस्तार और फेरबदल की अटकलों को हवा दे दी है। अब निगाहें 14 जनवरी के बाद होने वाले राजनीतिक घटनाक्रम पर टिकी हैं, जब नीतीश कुमार सरकार में बदलाव की तस्वीर साफ हो सकती है।

