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गोल्ड मार्केट में महा-तेजी की आहट: 2026 तक $6,000 पार कर सकता है सोना, World Gold Council ने जताई बड़ी संभावना

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द लोकतंत्र : वर्ष 2025 में सोने की कीमतों में 60 प्रतिशत से अधिक की शानदार तेजी दर्ज करने के बाद, अब वैश्विक बाजार में एक नयी भविष्यवाणी ने निवेशकों में हलचल पैदा कर दी है। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (WGC) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) डेविड टैट ने संकेत दिए हैं कि सोने की कीमतों में जारी यह तेजी अस्थायी नहीं है। उनके ताजा अनुमान के अनुसार, वर्ष 2026 तक अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने का भाव 6,000 डॉलर प्रति औंस के ऐतिहासिक स्तर को पार कर सकता है। यदि यह पूर्वानुमान सटीक बैठता है, तो भारतीय बाजारों में सोने की कीमत 1.90 लाख रुपये प्रति 10 ग्राम के पार पहुंच जाएगी।

तेजी के पीछे के प्रमुख कारक: क्यों बढ़ रहे हैं दाम?

डेविड टैट ने स्पष्ट किया है कि मौजूदा परिस्थितियां सोने के लिए अत्यंत अनुकूल हैं। कीमतों में इस संभावित 39 फीसदी की उछाल के पीछे तीन मुख्य कारण बताए गए हैं:

  • केंद्रीय बैंकों की खरीदारी: दुनियाभर के केंद्रीय बैंक अपने विदेशी मुद्रा भंडार को सुरक्षित करने के लिए सोने का संचय बढ़ा रहे हैं।
  • सेफ हैवन डिमांड: भू-राजनीतिक तनाव और आर्थिक अस्थिरता के दौर में सोना हमेशा सबसे सुरक्षित निवेश माना जाता है।
  • ईटीएफ (ETF) में निवेश: संस्थागत और खुदरा निवेशकों द्वारा गोल्ड ईटीएफ में लगातार बढ़ता निवेश बाजार में तरलता और मांग दोनों को बढ़ावा दे रहा है।

वर्तमान बाजार स्थिति: विदेशी और घरेलू बाजारों का हाल

यद्यपि दीर्घकालिक अनुमान तेजी का है, परंतु अल्पकालिक तौर पर बाजार में कुछ सुस्ती देखी गई है।

  • अंतरराष्ट्रीय बाजार: न्यूयॉर्क के कॉमेक्स बाजार में सोना 4,321 डॉलर प्रति औंस के आसपास कारोबार कर रहा है। यूरोपीय और ब्रिटिश बाजारों में भी मामूली गिरावट दर्ज की गई है।
  • भारतीय वायदा बाजार (MCX): घरेलू स्तर पर भी सोने पर दबाव दिखा है। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर सोने के दाम 722 रुपये की गिरावट के साथ 1,34,172 रुपये प्रति दस ग्राम पर आ गए हैं।

भविष्य का प्रभाव और विशेषज्ञ राय

आर्थिक विश्लेषकों का मानना है कि सोने में निवेश का यह पैटर्न बदलती वैश्विक अर्थव्यवस्था का संकेत है। यदि सोना 6,000 डॉलर के स्तर को छूता है, तो यह मुद्रास्फीति के खिलाफ एक मजबूत ढाल साबित होगा। हालांकि, निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वे किसी भी बड़ी खरीदारी से पहले बाजार के तकनीकी स्तरों और सेंट्रल बैंकों की मौद्रिक नीतियों पर कड़ी नजर रखें। निश्चित रूप से, आगामी 12 से 18 महीने स्वर्ण बाजार के इतिहास में निर्णायक सिद्ध होंगे।

Team The Loktantra

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