द लोकतंत्र/ नई दिल्ली : राजधानी दिल्ली में लगातार गंभीर होती वायु प्रदूषण की स्थिति के बीच दिल्ली सरकार ने बच्चों के स्वास्थ्य और शिक्षा को प्राथमिकता देते हुए एक अहम नीतिगत निर्णय लिया है। सरकार ने सरकारी स्कूलों की कक्षाओं में एयर प्यूरीफायर लगाने का फैसला किया है, ताकि पढ़ाई के दौरान बच्चों को स्वच्छ हवा मिल सके और प्रदूषण का सीधा असर उनकी सेहत पर न पड़े। इस योजना के तहत पहले चरण में 10,000 कक्षाओं में एयर प्यूरीफायर लगाए जाएंगे, जिसके लिए सरकार ने टेंडर भी जारी कर दिया है।
दिल्ली सरकार का लक्ष्य आने वाले समय में राजधानी के सभी सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों की करीब 38,000 कक्षाओं को एयर प्यूरीफायर की सुविधा से लैस करना है। सरकार का कहना है कि यह फैसला केवल तात्कालिक राहत नहीं, बल्कि बच्चों के स्वास्थ्य की दीर्घकालिक सुरक्षा को ध्यान में रखकर लिया गया है। राजधानी में हर सर्दी के मौसम में AQI गंभीर या बेहद खराब श्रेणी में पहुंच जाता है, जिसका सबसे ज्यादा असर बच्चों, बुजुर्गों और बीमार लोगों पर पड़ता है।
बच्चों को स्वच्छ हवा देने की पहल
शिक्षा एवं शहरी विकास मंत्री आशीष सूद ने प्रदूषण के मुद्दे पर बात करते हुए इस योजना की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि दिल्ली में कुल 1,047 सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूल हैं, जिनमें लगभग 38,000 कक्षाएं संचालित होती हैं। इन सभी कक्षाओं में चरणबद्ध तरीके से एयर प्यूरीफायर लगाए जाएंगे। सूद के अनुसार, हम चाहते हैं कि हमारे बच्चे स्मार्ट तरीके से पढ़ाई करें और स्वच्छ हवा में सांस लें। बच्चों का भविष्य सुरक्षित करना सरकार की प्राथमिकता है।
उन्होंने कहा कि स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों का एक बड़ा हिस्सा लंबे समय तक कक्षाओं में रहता है। ऐसे में अगर कक्षा के अंदर की हवा साफ नहीं होगी, तो इसका सीधा असर उनकी सेहत, एकाग्रता और सीखने की क्षमता पर पड़ेगा। एयर प्यूरीफायर लगाने से इनडोर एयर क्वालिटी बेहतर होगी और बच्चों को सांस संबंधी बीमारियों से बचाया जा सकेगा।
प्रदूषण नियंत्रण के लिए अन्य कदम
आशीष सूद ने बताया कि मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के नेतृत्व में दिल्ली सरकार प्रदूषण से निपटने के लिए दिखावटी अभियानों के बजाय ठोस और दीर्घकालिक प्रशासनिक सुधारों पर काम कर रही है। उन्होंने कहा कि धूल प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में एक मैकेनिकल स्वीपिंग मशीन उपलब्ध कराई जाएगी। इसके साथ ही नगर निगम को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए पहले 175 करोड़ रुपये जारी किए गए थे और अब 500 करोड़ रुपये की अतिरिक्त सहायता दी जा रही है।
सरकार ने भलस्वा लैंडफिल साइट को सितंबर 2026 तक पूरी तरह समाप्त करने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए 18 लाख मीट्रिक टन कचरे के निस्तारण का टेंडर जारी किया जा चुका है। इसके अलावा डेयरी वेस्ट के वैज्ञानिक निपटान के लिए नंगली सकरावती और घोगा डेयरी में बायोगैस प्लांट भी शुरू किए गए हैं। निर्माण कार्यों में पुनर्चक्रित सामग्री का उपयोग 11 अक्टूबर से अनिवार्य कर दिया गया है और इसके बिना सिविल कार्यों का भुगतान नहीं किया जाएगा।
पूर्व सरकार पर साधा निशाना
प्रदूषण के मुद्दे पर सूद ने पूर्व की केजरीवाल सरकार को भी कटघरे में खड़ा किया। उन्होंने कहा कि दिल्ली में प्रदूषण कोई मौसमी समस्या नहीं, बल्कि वर्षों की प्रशासनिक लापरवाही का नतीजा है। सूद ने आरोप लगाया कि पिछली सरकार ने केवल आंकड़ों के जरिए जनता को गुमराह किया। कैग रिपोर्ट का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि 2017-18 में लगाए गए करीब 30 प्रतिशत AQI मॉनिटरिंग स्टेशन जानबूझकर ग्रीन एरिया में लगाए गए, ताकि वास्तविक प्रदूषण स्तर को कम दिखाया जा सके।
उन्होंने कहा कि ‘ऑड-ईवन’ और ‘रेड लाइट ऑन, गाड़ी ऑफ’ जैसे अभियान केवल प्रचार तक सीमित रहे, जिनकी प्रभावशीलता पर अदालतों ने भी सवाल उठाए थे।
कुल मिलाकर, दिल्ली सरकार का स्कूलों में एयर प्यूरीफायर लगाने का फैसला यह संकेत देता है कि प्रदूषण की भयावह स्थिति के बीच बच्चों की सेहत को लेकर अब नीतिगत स्तर पर ठोस कदम उठाए जा रहे हैं। यह पहल यदि सही तरीके से लागू होती है, तो राजधानी के लाखों स्कूली बच्चों को इससे सीधा लाभ मिल सकता है।

