द लोकतंत्र : तारीख 19 दिसंबर को न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज (NYSE) में भारतीय आईटी दिग्गज इंफोसिस के अमेरिकन डिपॉजिटरी रिसीट (ADR) में एक ऐसी तेजी देखी गई, जिसने वैश्विक वित्तीय बाजारों को स्तब्ध कर दिया। कारोबार के दौरान इंफोसिस का एडीआर 38 प्रतिशत से अधिक उछलकर 27 डॉलर के स्तर को पार कर गया। अत्यधिक अस्थिरता और असामान्य तेजी के मद्देनजर एक्सचेंज को ‘सर्किट ब्रेकर’ का उपयोग करते हुए कुछ समय के लिए ट्रेडिंग रोकनी पड़ी। दिलचस्प तथ्य यह है कि जहां अमेरिकी बाजार में इंफोसिस रॉकेट बना हुआ था, वहीं उसी दिन भारतीय बाजारों में घरेलू शेयर ने मात्र मामूली बढ़त दर्ज की।
एक्सेंचर का प्रभाव और शॉर्ट स्क्वीज
इस अचानक आई तेजी के पीछे दो प्रमुख कारक माने जा रहे हैं।
- एक्सेंचर का धमाका: ग्लोबल आईटी दिग्गज एक्सेंचर के पहली तिमाही के नतीजों ने बाजार की उम्मीदों को पीछे छोड़ दिया। इससे निवेशकों में यह संदेश गया कि वैश्विक स्तर पर कंपनियां पुनः तकनीकी खर्च (Tech Spending) बढ़ाने की तैयारी में हैं। इंफोसिस का राजस्व मुख्यतः उत्तरी अमेरिका से आता है, इसलिए निवेशकों ने इसे इंफोसिस के लिए सीधे लाभ के संकेत के रूप में देखा।
- शॉर्ट स्क्वीज की स्थिति: बाजार विश्लेषकों के अनुसार, यह केवल बुनियादी तेजी नहीं, बल्कि एक क्लासिक ‘शॉर्ट स्क्वीज’ का परिणाम था। जब एक बड़े संस्थागत बैंक ने शॉर्ट सेलर्स को दिए गए अपने शेयर वापस बुलाए, तो मंदी की पोजीशन बनाए बैठे ट्रेडर्स में हड़कंप मच गया। शेयरों की कमी और अचानक बढ़ी खरीद प्रतिस्पर्धा ने कीमतों को अनियंत्रित रूप से ऊपर धकेल दिया।
भारतीय निवेशकों के लिए रणनीतिक विश्लेषण
घरेलू बाजार में इंफोसिस का शेयर 19 दिसंबर को ₹1,638 पर बंद हुआ, जो कि न्यूयॉर्क की तुलना में काफी शांत प्रतिक्रिया थी।
- वैश्विक नजरिया: विप्रो और एचसीएल टेक जैसे अन्य भारतीय आईटी स्टॉक्स के एडीआर में भी सुधार देखा गया है, जो दर्शाता है कि भारतीय आईटी कंपनियों के प्रति वैश्विक सेंटिमेंट अब सकारात्मक हो रहा है।
- सावधानी की आवश्यकता: बाजार विशेषज्ञ चेतावनी देते हैं कि एडीआर की तेजी अक्सर अस्थायी हो सकती है। निफ्टी आईटी इंडेक्स वर्तमान में अपने उच्चतम स्तर से नीचे कारोबार कर रहा है। निवेशकों को आगामी तिमाही नतीजों और अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ब्याज दर नीतियों पर बारीकी से नजर रखनी चाहिए।
भविष्य का दृष्टिकोण
न्यूयॉर्क की इस हलचल ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भारतीय आईटी कंपनियां अभी भी वैश्विक पोर्टफोलियो का अहम हिस्सा हैं। यदि अमेरिकी अर्थव्यवस्था में मजबूती बनी रहती है, तो वर्ष 2026 भारतीय आईटी क्षेत्र के लिए पुनरुद्धार का वर्ष साबित हो सकता है।
वॉल स्ट्रीट पर इंफोसिस का यह प्रदर्शन बाजार की तरलता और सेंटिमेंट के अजीब तालमेल का परिणाम था, जिसका फायदा दीर्घकालिक निवेशकों को मिल सकता है।

