द लोकतंत्र : लोकसभा चुनाव जैसे जैसे आगे बढ़ रहा है वैसे वैसे कांग्रेस पर मुसीबतों का पहाड़ टूट रहा है। हालात यह है कि पार्टी के नेता इसका साथ छोड़ते जा रहे हैं। अब कांग्रेस नेता गौरव वल्लभ ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। सोशल मीडिया पर अपने इस्तीफ़े की कॉपी पोस्ट कर उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी आज जिस प्रकार से दिशाहीन होकर आगे बढ़ रही है, उसमें मैं खुद को सहज महसूस नहीं कर पा रहा। मैं न तो सनातन विरोधी नारे लगा सकता हूं और न ही सुबह-शाम देश के वेल्थ क्रिएटर्स को गाली दे सकता हूँ।
गौरव वल्लभ ने क्या लिखा?
सोशल मीडिया एक्स पर गौरव वल्लभ ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को भेजे इस्तीफे की फोटो शेयर की। उन्होंने अपने इस्तीफ़े में लिखा है कि पार्टी जिस तरह से दिशाहीन होकर आगे बढ़ रही है वह सहज महसूस नहीं कर रहे हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को लिखे पत्र में वल्लभ ने लिखा, नमस्कार! भावुक हूं। मन व्यथित है। काफी कुछ कहना चाहता हूं। लिखना चाहता हूं। बताना चाहता हूं, लेकिन मेरे संस्कार ऐसा कुछ भी कहने से मना करते हैं, जिससे दूसरों को कष्ट पहुंचे। फिर भी मैं आज अपनी बातों को आपके समक्ष रख रहा हूं, क्योंकि मुझे लगता है कि सच को छिपाना भी अपराध है और मैं अपराध का भागी नहीं बनना चाहता।
गौरव वल्लभ ने आगे लिखा, ‘महोदय, मैं वित्त का प्रोफेसर हूं। कांग्रेस पार्टी की सदस्यता हासिल करने के बाद पार्टी ने राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाया। कई मुद्दों पर पार्टी का पक्ष दमदार तरीके से देश की महान जनता के समक्ष रखा, लेकिन पिछले कुछ दिनों से पार्टी के स्टैंड से असहज महसूस कर रहा हूं। जब मैंने कांग्रेस पार्टी ज्वाइन किया तब मेरा मानना था कि कांग्रेस देश की सबसे पुरानी पार्टी है, जहां पर युवा, बौद्धिक लोगों की, उनके आइडिया की कद्र होती है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में मुझे यह महसूस हुआ कि पार्टी का मौजूदा स्वरूप नए आइडिया वाले युवाओं के साथ खुद को एडजस्ट नहीं कर पाता।
उन्होंने लिखा कि पार्टी का ग्राउंड लेवल कनेक्ट पूरी तरह से टूट चुका है, जो नए भारत की आकांक्षा को बिल्कुल भी नहीं समझ पा रही है। जिसके कारण न तो पार्टी सत्ता में आ पा रही और न ही मजबूत विपक्ष की भूमिका ही निभा पा रही हैं। इससे मेरे जैसा कार्यकर्ता हतोत्साहित होता है। बड़े नेताओं और जमीनी कार्यकर्ताओं के बीच की दूरी पाटना बेहद कठिन है, जो कि राजनीतिक रूप से जरूरी है। जब तक एक कार्यकर्ता अपने नेता को डायरेक्ट सुझाव नहीं दे सकता, तब तक किसी भी प्रकार का सकारात्मक परिवर्तन संभव नहीं है।
गौरव वल्लभ ने आगे लिखा, अयोध्या में प्रभु श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा में कांग्रेस पार्टी के स्टैंड से मैं क्षुब्ध हूं। मैं जन्म से हिंदू और कर्म से शिक्षक हूं। पार्टी के इस स्टैंड ने मुझे हमेशा असहज किया, परेशान किया। पार्टी व गठबंधन से जुड़े कई लोग सनातन के विरोध में बोलते हैं और पार्टी का उस पर चुप रहना, उसे मौन स्वीकृति देने जैसा है।
भाजपा बोली – कांग्रेस को आगे भी खामियाजा उठाना पड़ेगा
गौरव वल्लभ के इस्तीफ़े पर प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि वल्लभ ने सनातन के अपमान का जिक्र करते हुए इस्तीफा दिया है। ऐसे ही रहा तो कांग्रेस को आगे भी खामियाजा उठाना पड़ेगा। प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए सुधांशु ने आगे कहा, गौरव वल्लभ ने इससे पहले 2014 के चुनाव के बाद बनी एंटनी कमेटी को लेकर कहा था कि कांग्रेस मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति करती है। इसका खामियाजा कांग्रेस को उठाना पड़ता है।
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उन्होंने आगे कहा कि, गौरव वल्लभ लगातार जीरो की बात करते थे। अब उनको समझ में आया है कि जीरो क्या है? राहुल गांधी के साथ रहने वाले को समझ में आ गया है कि जीरो कौन है।