द लोकतंत्र : जन अधिकार पार्टी का विलय करवाकर कांग्रेस में शामिल हुए पप्पू यादव न घर के रहे न घाट के। दरअसल, आज पूर्णिया से पप्पू यादव ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में अपना नामांकन किया। कांग्रेस पार्टी का झंडा ढो रहे पप्पू यादव से कांग्रेस पार्टी ने पल्ला झाड़ लिया। कांग्रेस ने उन्हें इंडी गठबंधन का प्रत्याशी बताने से साफ तौर पर इनकार कर दिया। कांग्रेस प्रवक्ता राजेश राठौड़ ने कहा कि पप्पू यादव कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार नहीं हैं। कांग्रेस के कोटे में जो 9 सीट आई है उसमें पूर्णिया लोकसभा क्षेत्र नहीं है।
क्या पप्पू यादव को ‘सबक़’ सिखाना चाहती थी राजद?
पप्पू यादव ने पूर्णिया से चुनाव लड़ने की शर्त पर ही अपनी जन अधिकार पार्टी (लोकतांत्रिक) का कांग्रेस में विलय किया था। लेकिन गठबंधन के अन्तर्गत यह सीट राजद के खाते में चली गई। हालाँकि, राजद चाहती तो पप्पू यादव की भावनाओं का सम्मान करते हुए पूर्णिया सीट छोड़ सकती थी लेकिन शायद राजद पप्पू यादव को कोई पुराना हिसाब किताब बराबर कर ‘सबक़’ सिखाना चाहती थी जिसके चलते उनके साथ ऐसा खेल कर दिया गया।
दरअसल, 2015 के पूर्व तक पप्पू यादव राजद का हिस्सा रहे। ढाई दशक तक लालू प्रसाद यादव की छत्रछाया में ही पप्पू यादव की राजनीति पली बढ़ी। लेकिन, एक समय ऐसा भी आया जब पप्पू यादव के मन में राजद के चुनाव चिह्न पर दावा ठोक कर उसके नेता बनने की महत्वाकांक्षा पनप गई थी। जिसके बाद उन्होंने बाग़ी रुख़ अपना लिया था और राजद से छह साल के लिए उनकी छुट्टी हो गई थी।
क्या सियासत के इस खेल में ठगे गये पप्पू?
राजनीति की गलियों में बहुतेरे ठग हैं। सियासत की राह बहुत आसान नहीं है। इसी सियासत ने राहुल गांधी को देश के सामने पप्पू घोषित कर दिया। और आज राजेश रंजन उर्फ़ पप्पू यादव ख़ुद भी ‘पप्पू’ बन गये। एक सवाल कि क्या वाक़ई में अपनी पार्टी का विलय कांग्रेस में करने का निर्णय पप्पू यादव का सही निर्णय था? राजनीतिक जानकार मानते हैं कि पप्पू यादव के जीवन की यह सबसे बड़ी गलती थी जिसका ख़ामियाजा वह आज भुगत रहे हैं। पूर्णिया से निर्दलीय पर्चा भरने और कांग्रेस पार्टी द्वारा उनकी उम्मीदवारी को मान्यता न देने से उनकी भारी बेइज़्ज़ती हो चुकी है। वह भले ही चुनाव लड़ रहे हों लेकिन उनका यह कदम उनके और गठबंधन दोनों के लिए ठीक नहीं है।
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तकनीकी तौर पर पप्पू यादव ठगे जा चुके हैं। हालाँकि, नामांकन करने के दौरान पप्पू यादव ने राजद और लालू-तेजस्वी पर हमला बोला। पप्पू यादव ने यहां तक कह दिया कि मेरी राजनीतिक हत्या की साजिश रची गई थी। जिस किसी ने मेरे पॉलिटिकल डेथ की कोशिश की और जिसने परिवार के पीछे नफरत दिखाया। मुझे समझ नहीं आया कि यह कैसी नफरत थी?
ख़ुद पप्पू यादव ने स्वीकार किया कि उनके साथ ठगी हुई है। बक़ौल पप्पू यादव, ठगा महसूस कर रहा हूं। किसने ठगा पता नहीं, मगर जनता का आदेश है कि मैं पूर्णिया से लड़ूं। पप्पू यादव के नामांकन को लेकर भीड़ उमड़ी। पप्पू यादव निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर नामांकन किया। हालाँकि उन्होंने यह भी कहा कि वह सदैव कांग्रेस के साथ रहेंगे।