द लोकतंत्र : राजनीति में नीति और रणनीति सही हो तो परिणाम प्रतिकूल नहीं होते यह कांग्रेस ने साबित कर दिया है। अमेठी की अपनी पारंपरिक सीट पर कांग्रेस ने पुनः कब्जा स्थापित कर लिया है और स्मृति ईरानी बड़े अंतर से चुनाव हार गई हैं। बता दें, उत्तर प्रदेश की अमेठी सीट जो गांधी परिवार की पारंपरिक सीट थी वहाँ इस बार गांधी परिवार के किसी सदस्य ने चुनाव नहीं लड़ा था। कांग्रेस ने यहाँ से सोनिया गांधी के भरोसेमंद किशोरीलाल शर्मा को अपना उम्मीदवार बनाया था।
पिछले लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी को हराकर अमेठी से जीत दर्ज करने वाली स्मृति ईरानी को इस बार बड़ी हार का सामना करना पड़ा। स्मृति ईरानी को कांग्रेस के किशोरी लाल शर्मा ने एक लाख 67 हजार 196 वोटों से हरा दिया। अमेठी से हारने के बाद स्मृति ईरानी ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है और कहा है कि, आज जो चुनाव जीते हैं उनको बधाई आशा है जैसे हमने जनता की समस्या की सुना है उसी तरह से वह भी जनता के लिए काम करेंगे।
स्मृति ने आगे कहा, मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का आभार व्यक्त करती हूं। सभी भाजपा के कार्यकर्ताओं को धन्यवाद। अमेठी की जनता का आभार की उन्होंने मुझे पांच साल सेवा करने का मौका दिया।
पहले ही राउंड में पिछड़ गई थीं स्मृति ईरानी
दरअसल, पहले ही राउंड से स्मृति ईरानी पिछड़ती चली गई और बढ़त नहीं बना सकीं। सुबह आठ बजे अमेठी के जवाहर नवोदय विद्यालय में कांउन्टिंग शुरू होने पर सबसे पहले पोस्टल बैलेट की गिनती शुरू हुई। कांग्रेस प्रत्याशी किशोरी लाल शर्मा ने पहले राउंड के साथ बढ़त बना ली और लगातार बढ़त बनाए रहे। पचास हज़ार की बढ़त के साथ जहां स्मृति ईरानी के समर्थकों में हताशा बढ़ गई वहीं कांग्रेस कार्यकर्ताओं का उत्साह दुगुना हो गया। आख़िरी राउंड तक किशोरी लाल शर्मा करीब 1 लाख 67 हजार वोटों से आगे हो गए और अमेठी का गढ़ अपने नाम कर लिया।
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अमेठी लोकसभा सीट के इतिहास में यह तीसरी बार हुआ जब किसी गैर गांधी परिवार के सदस्य ने अमेठी से चुनाव जीता है। इसके पूर्व विद्याधर बाजपेई और कैप्टन सतीश शर्मा ने कांग्रेस के टिकट पर अमेठी से जीत दर्ज की थी। अब किशोरीलाल शर्मा ने स्मृति को हराकर चुनाव में अपनी धाक जमायी है। कांग्रेस प्रत्याशी किशोरी लाल ने अपनी जीत का श्रेय अमेठी की जनता और गांधी परिवार को दिया है।