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अमेठी में कांग्रेस नहीं दोहरायेगी पुरानी गलती, क्या कभी ‘हार का गैप’ भर पायेंगी स्मृति ईरानी

Congress will not repeat the old mistake in Amethi, will Smriti Irani ever be able to fill the 'gap of defeat'

द लोकतंत्र : कांग्रेस परिवार की पारंपरिक सीट माने जाने वाली अमेठी पर कांग्रेस का पुनः कब्जा हो गया है। कांग्रेस ने अपनी रणनीति से स्मृति ईरानी से न सिर्फ़ अमेठी छीनी है बल्कि उनकी ‘हार का मार्जिन’ इतना ज़्यादा कर दिया है कि शायद ही अब स्मृति वोटों के अंतर को भर पाएँ। हालाँकि, स्मृति ईरानी ने नतीजों के बाद कहा कि वह अमेठी को नहीं छोड़ेंगी और यहां आगे भी काम करती रहेंगी। उन्होंने एक्स पोस्ट के माध्यम से लिखा था कि जोश अभी भी हाई है।

अमेठी में कांग्रेस नहीं दोहरायेगी गलती

लोकसभा चुनाव 2019 में स्मृति ईरानी ने गांधी परिवार की पारंपरिक सीट रही अमेठी में सेंध लगा कर राहुल गांधी 55,120 मतों से चुनाव हराया था। कांग्रेस ने उस हार का बदला लेते हुए लगभग तीन गुना से अधिक वोटों के अंतर से जीत दर्ज कर फिर से अमेठी लोकसभा सीट ‘गांधी परिवार’ को गिफ्ट कर दिया। हालाँकि, कांग्रेस की कोशिश रहेगी कि आगे वह स्मृति ईरानी को अमेठी में बिलकुल भी स्पेस न दें। संभव है कि राहुल गांधी रायबरेली सीट से ही सांसद बने रहेंगे और यहीं से वह दोनों लोकसभा क्षेत्रों को मैनेज करेंगे।

कांग्रेस इन दोनों सीटों पर पूरी दमदारी से अपनी उपस्थिति बनाए रखेगी। राहुल गांधी के दौरे दोनों लोकसभा क्षेत्रों में तेज होंगे और रिमोट से पारंपरिक सीटों को चलाने का दाग धुलने की कोशिश रहेगी। कांग्रेस से जुड़े सूत्रों के मुताबिक़ यूपी में कांग्रेस अपने कैडर को मज़बूत करने के लिए काम शुरू करेगी और सांगठनिक स्तर पर बड़े और व्यापक बदलाव किए जाएँगे। पदाधिकारियों की ज़िम्मेदारी और जवाबदेही भी तय की जाएगी। कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक़, लोकसभा चुनाव लड़ने के दौरान ही कई महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की गई थी और उसपर आगे काम जारी रहेगा।

टीम स्मृति कैसे भरेगी हार का गैप?

स्मृति ईरानी भले ही बड़े मार्जिन से अमेठी का रण हार गई लेकिन उन्होंने संकेत दिया है कि वह अपने संसदीय क्षेत्र में बनी रहेंगी और जनता का काम करती रहेंगी। स्मृति ईरानी ने कहा कि वह अमेठी को नहीं छोड़ेंगी। हार के बाद अपने पहले प्रेस कांफ्रेंस के दौरान उन्होंने कहा था कि, बहनों से रिश्ता तब टूटता है जब अर्थी उठती है बहन की।

हालाँकि हार के बाद स्मृति ईरानी के सामने अमेठी की जनता का विश्वास पुनः जीत पाना एक कठिन चुनौती है। स्थानीय स्तर पर नेताओं में उपजे आक्रोश और बिगड़े सियासी समीकरण को साधने के लिये स्मृति ईरानी को खूब पसीना बहाना पड़ेगा। स्थानीय गुटबाज़ी को साधना और अपने पक्ष में पुनः गोलबंदी करना टेढ़ी खीर साबित होने वाली है। आँकड़े बताते हैं कि अमेठी की सभी पांचो विधानसभा क्षेत्रों में स्मृति ईरानी कांग्रेस प्रत्याशी किशोरीलाल शर्मा से कोसों दूर थी। ऐसे में टीम स्मृति को नये सिरे से रणनीतिक तौर पर अमेठी में काम करना होगा।

महज़ 37 फ़ीसदी लोगों ने ही जताया स्मृति पर भरोसा

आँकड़ो के लिहाज़ से अमेठी में किशोरी लाल को जहां 54.97 प्रतिशत मतों के साथ 539228 वोट मिले। वहीं स्मृति इरानी को 372032 वोटों के साथ महज 37.92 प्रतिशत मत हासिल हुए। यानी 2019 के मुकाबले 2024 में स्मृति को लगभग 12 फ़ीसदी मतों का नुकसान हो गया।

Team The Loktantra

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