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हाथरस कांड के मामले में हो रही लीपापोती, बाबा को बचाने के लिए क्यों लग गई है सरकारी मशीनरी?

Hathras incident is being covered up, why is the government machinery engaged to save Baba?

द लोकतंत्र : हाथरस कांड मामले में मौत का आँकड़ा लगातार बढ़ रहा है। ताजा जानकारी के मुताबिक़ इस दुर्घटना में मरने वालों की संख्या बढ़कर 123 हो गई है। राहत आयुक्त कार्यालय के मुताबिक मरने वालों में ज्यादातर महिलाएं हैं। सूरज पाल उर्फ़ भोले बाबा के सत्संग में भगदड़ मचने के बाद कई लोग हताहत हुए हैं और संभावना जतायी जा रही है कि मरने वालों का आँकड़ा अभी और बढ़ सकता है। वहीं, इस मामले में यूपी सरकार और प्रशासन का रवैया बता रहा है कि इस मामले में बाबा को बचाने की क़वायद शुरू हो गई है। इस मामले में दर्ज एफआईआर में बाबा सूरज पाल का नाम तक नहीं है।

हाथरस कांड पर योगी के मंत्री बोले – सेवादारों की गलती

योगी सरकार में सामाजिक कल्याण राज्य मंत्री असीम अरुण का कहना है कि, ऐसा प्रतीत होता है कि अंदर व्यवस्था संभाल रहे सेवादारों ने भीड़ प्रबंधन के मामले में कुछ गलती की और यह एक और सबक है। मंत्री ने यह भी जानकारी दी कि सीएम योगी ने फैसला किया है कि राज्य में अब ऐसी किसी भी धार्मिक, सामाजिक सभा के लिए अधिक विस्तृत एसओपी होगी। जिसमें दिशानिर्देश रहेंगे ताकि भविष्य में इस तरह के हादसे से बचा जा सके।

सवाल यह है कि आख़िर क्यों इस पूरे प्रकरण में बाबा का नाम सीधे तौर पर नहीं लिया जा रहा। योगी के मंत्री के बयान और सरकारी मशीनरी द्वारा अभी तक जो एक्शन हो रहे हैं उससे स्पष्ट है कि ऐसी भूमिका बनायी जा रही है कि बाबा को इस पूरे मामले से अलग रखा जाये। घटना के बाद से ही बाबा सूरजपाल भी अंडरग्राउंड है और उसका कोई पता नहीं चल रहा है।

तीन सदस्यीय न्यायिक जांच आयोग का गठन

वहीं, इस मामले में न्यायिक जांच के लिए इलाहाबाद हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति बृजेश कुमार श्रीवास्तव (द्वितीय) की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय न्यायिक जांच आयोग का गठन कर दिया गया है। प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल द्वारा बुधवार रात इसका नोटिफिकेशन जारी किया गया। सरकार द्वारा गठित न्यायिक जांच आयोग में रिटायर्ड आईएएस हेमंत राव और रिटायर्ड आईपीएस भवेश कुमार सिंह को बतौर सदस्य नियुक्त किया गया है। जाँच आयोग दो माह के भीतर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।

बाबा अंडरग्राउंड, आश्रम पर पहुँची पुलिस बोली – सुरक्षा जाँचने आये थे

हाथरस में सत्संग के दौरान हुए भगदड़ के बाद से ही सूरज पाल उर्फ़ भोले बाबा अंडरग्राउंड है। बीती रात सूरज पाल उर्फ भोले बाबा के मैनपुरी आश्रम में होने की सूचना के बाद पुलिस ने वहाँ छापेमारी की थी। हालाँकि, पुलिस के मुताबिक़ आश्रम में बाबा मौजूद नहीं मिला। अफसर करीब एक घंटे तक आश्रम में रहे। इस दौरान अफ़सरों ने मीडिया कर्मियों को बताया कि वे सिर्फ़ आश्रम की सुरक्षा जाँच करने आये थे। यहाँ पुनः बता दें कि हाथरस में मची भगदड़ के मामले में जो FIR दर्ज की गई है उसमें भोले बाबा का नाम नहीं है।

मैनपुरी आश्रम में पुलिस क़रीब एक घंटे से ज़्यादा रुकी रही जिसके बाद तमाम सवालात खड़े हो रहे हैं। आश्रम में पुलिस क्यों गई थी? बाबा आख़िर कहाँ है? कौन बचाना चाहता है बाबा को? आख़िर इस पूरे मामले में दर्ज एफआईआर में बाबा का नाम क्यों नहीं है? मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़ बताया जा रहा है कि बाबा की हिस्ट्रीशीट है और उसके खिलाफ यौन शोषण समेत पांच अन्य गंभीर मुकदमें दर्ज हैं। उत्तर प्रदेश पुलिस में हेड कांस्टेबल की नौकरी के दौरान रेप का मुकदमा लिखे जाने के बाद सूरज पाल को पुलिस विभाग से बर्खास्त किया गया था। जेल से छूटने के बाद वह अपना नाम और पहचान बदलकर बाबा बन गया था।

भारतीय न्याय संहिता के अन्तर्गत दर्ज हुई है एफआईआर

हाथरस भगदड़ मामले में पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 की धारा 105, 110, 126 (2), 223 और 238 के तहत FIR दर्ज की है। इसमें भोले बाबा के मुख्य सेवादार कहे जाने वाले देवप्रकाश मधुकर और हाथरस में धार्मिक आयोजन के अन्य आयोजकों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। यह एफआईआर हाथरस के सिकंदराराऊ थाने में 2 जुलाई 2024 को रात करीब 10:18 बजे दर्ज हुई है। एफआईआर ब्रजेश पांडे नाम के शख्स ने दर्ज कराई है। मुख्य सेवादार देवप्रकाश जिस पर एफआईआर दर्ज हुई है। वो हाथरस के सिकंदराराऊ में दमदपुरा का रहने वाला है।

Team The Loktantra

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