द लोकतंत्र : कारगिल विजय दिवस के रूप में 26 जुलाई का दिन भारतीय इतिहास में एक स्वर्णिम पन्ने के के तौर पर दर्ज है। यह वही दिन है जब हमारी सेना ने कारगिल की बर्फीली चोटियों पर विजय का परचम लहराया था और दुनिया को भारतीय सैनिकों के शौर्य और असीम साहस का परिचय दिया। 1999 में पाकिस्तान पर भारत की जीत को दर्ज करने वाली यह तारीख़ हर भारतीय को अपनी सेना पर गर्व करने की वजह देती है।
25वें कारगिल विजय दिवस के अवसर पर पूरा देश हमारे वीर जवानों की वीरता और बलिदान की शौर्य गाथा को याद कर नमन कर रहा है। इस अवसर पर पीएम मोदी कारगिल वॉर मेमोरियल पहुँचकर अमर बलिदानियों को श्रद्धांजलि देंगे।
पीएम मोदी अमर बलिदानियों को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे
Kargil Vijay Diwas की 25वीं वर्षगाँठ के मौक़े पर पीएम मोदी आज कारगिल वार मेमोरियल पहुंचकर अमर बलिदानियों को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे। इसके बाद वे शिंकू ला टनल परियोजना का शुभारंभ भी करेंगे। यह मार्ग चीन और पाकिस्तान की सीमा से दूर मध्य में है। इस कारण यहां से सेना के वाहनों की गतिविधि की जानकारी दुश्मन को नहीं लग पाएगी।
कारगिल विजय दिवस की पूर्व संध्या पर प्रधानमंत्री मोदी ने अपने आधिकारिक एक्स हैंडल पर लिखा कि 26 जुलाई का दिन हर भारतीय के लिए बेहद खास है। हम 25वां कारगिल विजय दिवस मनाएंगे। यह उन सभी को श्रद्धांजलि देने का दिन है जो हमारे राष्ट्र की रक्षा करते हैं। मैं कारगिल युद्ध स्मारक जाऊंगा और हमारे बहादुर नायकों को श्रद्धांजलि अर्पित करूंगा।
साथ ही उन्होंने यह भी लिखा कि, शिंकू ला सुरंग परियोजना के लिए भी काम शुरू होगा। यह परियोजना खराब मौसम के दौरान लेह से कनेक्टिविटी को बेहतर बनाने के लिए महत्वपूर्ण है। बता दें कि यह टनल कई मायनों में अहम है। यह टनल सीमा तक रसद पहुंचाने का तीसरा और सबसे सुरक्षित विकल्प होगी।
कारगिल युद्ध की वजहें
कारगिल युद्ध 1999 में शुरू हुआ जब पाकिस्तान की सेना और आतंकवादियों ने साझा रूप से भारतीय सीमाओं का उल्लंघन करते हुए कारगिल सेक्टर में घुसपैठ की थी। पाकिस्तान ने इस घुसपैठ को ‘ऑपरेशन बद्र’ नाम दिया था जिसका उद्देश्य भारत और लद्दाख के बीच की संचार लाइनों को काटना था। इस कायराना हरकत का उद्देश्य भारतीय क्षेत्र पर कब्जा जमाना और जम्मू-कश्मीर में अस्थिरता फैलाना था। हालाँकि भारतीय सैनिकों ने अपने अदम्य साहस, शौर्य और वीरता से पाकिस्तान के मंसूबों को नाकाम कर दिया।
भारतीय सेना की वीरता
भारतीय सेना के सामने जैसे ही पाकिस्तान द्वारा घुसपैठ की खबरें सामने आईं, सेना ने ‘ऑपरेशन विजय’ शुरू किया। हमारे वीर सैनिकों ने कठिन और दुर्गम परिस्थितियों में अद्वितीय साहस और धैर्य का परिचय दिया। 18,000 फीट की ऊँचाई पर, जहां ऑक्सीजन की कमी और बर्फीली हवाओं के बीच लड़ना काफी मुश्किल था, हमारे सैनिकों ने वहाँ भी अपना अद्भुत पराक्रम दिखाया। कैप्टन विक्रम बत्रा, कैप्टन अनुज नायर, ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह यादव और इन जैसे अनेक वीरों ने अपने प्राणों की आहुति देकर दुश्मनों को अपनी बहादुरी से पीछे हटने पर मजबूर कर दिया और भारतीय सीमाओं की रक्षा की।
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कारगिल विजय भारत के लिए केवल एक सैन्य विजय नहीं थी, बल्कि यह हमारे राष्ट्रीय गर्व और अखंडता की विजय भी थी। इस जीत ने यह साबित कर दिया कि भारत अपनी सीमाओं की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकता है। इस जीत ने हमारी सेना के अदम्य साहस और देशभक्ति का परिचय दुनिया को दिया और यह बता दिया कि हमें देश की सुरक्षा में कोई भी समझौता स्वीकार नहीं है।