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बरसात के मौसम में भूलकर भी न खाएं ये खाद्य पदार्थ नहीं तो कटानी पड़ जाएगी डॉक्टर की पर्ची

Do not eat these foods during the rainy season, otherwise you will have to get a doctor's prescription

द लोकतंत्र/ उमा पाठक : मानसून का मौसम है और झमाझम बारिश हो रही है। अब बरसात के मौसम में चाय-पकौड़े की बात न हो ऐसा हो ही नहीं सकता है। बरसात के मौसम में चाय-पकौड़ो के अलावा भी हम स्वादिष्ट पकवान खाना चाहते है। खाने को बस मिलता रहे। लेकिन जरा रुकिए। यह ठीक है कि हम भारतीयों को बस खाने के बहाने चाहिए लेकिन बरसात में कुछ भी खाने के पहले आपको ये आर्टिकल एक बार पढ़ना चाहिए। आज के आर्टिकल में हम आपको बताएगें कि मानसून में वो कौन सी चीजें है जो हम लोगों को खाने से अवॉइड करना चाहिए। ये सभी चीजें हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती है।

दरअसल, बरसात में कुछ चीजों को खाने से आपको फूड पॉइजनिंग और अन्य दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। इंफेक्शन से बचने के लिए सबसे जरूरी है कि इन ख़ास फूड्स को खाने में सावधानी रखें। यानी, बरसात में खाइए, खूब खाइए लेकिन क्या नहीं खाना है वह ज़रूर जान लीजिए। तो चलिए जानते है कि वो कौन सी चीजें हैं जो हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है।

हरी पत्तेदार सब्जियों से रहें दूर

वैसे तो हरी सब्जियां हमारे स्वास्थ्य के लिए सबसे अच्छी और पोषक मानी जाती है लेकिन बरसात के मौसम में आपको हरी पत्तेदार सब्जियों से थोड़ी दूरी बनाकर रखनी चाहिए। दरअसल, हरी सब्जियां दलदली क्षेत्रों में उगती हैं, जहां कीटाणु और बैक्टीरिया अधिक पनपते हैं। ये बैक्टीरिया रोग पैदा करने वाले जीवों के बढ़ने के लिए अनुकूल होते हैं। इसलिए बरसात के मौसम में हरी पत्तेदार सब्जियों को अवॉइड करने के लिए कहा जाता है। हालांकि आप बरसात में हरी पत्तेदार सब्जियों की जगह अन्य मौसमी सब्जियां जैसे टिंडा, लौकी, करेला, कद्दू और शकरकंद खा सकते हैं।

सी-फूड बिलकुल भी न खाएं

बरसात के मौसम में न सिर्फ हरी सब्जियां बल्कि सी-फूड से भी आपको परहेज करना चाहिए। बारिश के मौसम में तालाब और जलाशयों का पानी काफी दूषित हो जाता है, क्योंकि अक्सर सड़कों और नालों का पानी बहकर तालाब/जलाशयों में आ जाता है। इस वजह से पानी वाले जीव जैसै मछली / झींगा खाने से आपको फूड पॉइजनिंग हो सकती है। इसके अलावा बरसात का मौसम जीवों के ब्रीड (प्रजनन का समय) का भी होता है, इसलिए इनके सेवन से आपको पेट से जुड़ी बीमारियां का सामना करना पड़ सकता है।

बाहर की फ्राइड-फूड से दूरी है जरूरी

बारिश का मजा चाय-पकौड़े के बिना पूरा नहीं होता है, लेकिन वह भी थोड़ा संभलकर। क्योंकि, किसी भी चीज की अति हमारे शरीर के लिए हानिकारक हो सकती है। इसलिए आपको बारिश के मौसम में तली-भुनी और मसालेदार खाने को अवॉइड करना चाहिए। इस तरह के भोजन में तेल की मात्रा अधिक होने की वजह से आपको अपच और एसिडिटी जैसी कई समस्याएं झेलनी पड़ सकती है। साथ ही इस तरह के भोजन से शरीर में फैट और पित्त बढ़ाता है जो कि स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है। इससे आपकी इम्युनिटी कमजोर हो सकती है।

कटे फल और सलाद को करें अवॉइड

सेहत के लिए फायदेमंद कहे जाने वाले फल और सलाद भी बरसात के मौसम में आपको बीमार कर सकते हैं। कटे हुए फल और सलाद में बैक्टीरिया और वायरस तेजी से पनपते है, जिससे इन्फेक्शन होने का डर होता है। इसलिए सड़क पर बिकने वाले खुले और कटे हुए फलों, सलाद का सेवन बिलकुल भी न करें। बरसात के मौसम में कई लोगों को एलर्जी की शिकायत होती है। ऐसे कटे फलों और सलाद से एलर्जी बढ़ जाती है इसलिए लोगों को अपना और इम्यून सिस्टम का खास ख्याल रखना चाहिए और बाहर के कटे फ्रूट्स को अवॉयड करना चाहिए।

दही नहीं खाना चाहिए

बरसात के मौसम में दही और अन्य डेयरी उत्पादों का सेवन कम करना चाहिए। ज्यादा नमी की वजह से दही इस मौसम में जल्दी खराब हो जाती है। इसके अलावा दही में बैक्टीरिया होते है, जो बारिश के मौसम में सेहत के लिए अच्छे नहीं होते है। इससे पेट संबंधी समस्या हो सकती है। डॉक्टरों की मानें तो दही के सेवन के कारण गले में सूजन, कफ, खांसी-जुकाम हो सकता है।

इसलिए, बरसात के मौसम में तली-भुनी और ऐसी सभी चीजों को अवॉयड करना बेहद जरूरी है जिससे आपके सेहत पर बुरा प्रभाव पड़े। क्योंकि इस समय मौसम में नमी और तापमान के कारण बैक्टीरिया और अन्य हानिकारक जीवाणुओं का संक्रमण बढ़ जाता है। तली-भुनी चीजें, जैसे समोसे, पकोड़े, और फ्रेंच फ्राइज, न केवल अत्यधिक तेल और वसा से भरी होती हैं, बल्कि इनकी उच्च कैलोरी सामग्री भी हमारे पाचन तंत्र को प्रभावित कर सकती है। इसके अलावा, तली हुई चीजें अक्सर खुले में बेची जाती हैं, जिससे उनमें धूल, गंदगी और जीवाणुओं के संपर्क में आने का खतरा बढ़ जाता है। बरसात के दौरान इम्यून सिस्टम भी कमजोर हो सकता है, जिससे संक्रमण और बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।

Team The Loktantra

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