द लोकतंत्र : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शनिवार (27 जुलाई 2024) को नीति आयोग की दिल्ली में हुई बैठक में शामिल नहीं हुए। वहीं ममता बनर्जी बीच में ही बैठक छोड़ कर निकल गईं। ममता बनर्जी ने कहा कि उन्होंने बैठक में अपना विरोध जताया। उन्हें बैठक में बोलने का मौका नहीं दिया जाता। ये कैसे चल सकता है?
बता दें कि आज नीति आयोग की नौवीं शासी परिषद की बैठक आयोजित की गई थी। बैठक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने के उद्देश्य से की गई थी। बैठक में डॉक्युमेंट ‘विकसित भारत@2047’ पर सभी ने चर्चा की। हालाँकि बैठक के बीच से पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी उठ कर निकल गईं। ममता ने कहा, मैं बोलना चाहती थी लेकिन मुझे सिर्फ 5 मिनट बोलने दिया गया। मुझसे पहले के लोगों ने 10-20 मिनट तक बात की। विपक्ष से मैं अकेली थी जो इस बैठक में भाग ले रही थी लेकिन फिर भी मुझे बोलने नहीं दिया गया। यह अपमानजनक है। यह सिर्फ बंगाल का ही नहीं, बल्कि सभी क्षेत्रीय दलों का अपमान है।
सीएम नीतीश ने भी किया बैठक से किनारा
बिहार के मुख्यमंत्री आजकल एनडीए के साथ हैं। इसके पहले उन्हीं के पहल से विपक्षी गठबंधन INDIA की शुरुआत हुई थी। विपक्ष के गठबंधन INDIA ब्लॉक के अधिकांश मुख्यमंत्रियों ने नीति आयोग की इस बैठक का बहिष्कार किया था। ऐसे में सीएम नीतीश के इस बैठक में नहीं शामिल होने से तमाम तरह के क़यास लगाए जा रहे हैं। हालाँकि, अधिकारियों ने बताया कि बैठक में राज्य का प्रतिनिधित्व उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा ने किया।
पूर्व में भी सीएम नीतीश कुमार इस तरह की बैठक में शामिल नहीं हुए थे। बिहार का प्रतिनिधित्व तत्कालीन उपमुख्यमंत्री ने किया था। जदयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने न्यूज एजेंसी पीटीआई-भाषा को बताया कि इस बार भी दोनों उपमुख्यमंत्री बैठक में शामिल हुए। इसके अलावा, बिहार से चार केंद्रीय मंत्री भी आयोग के सदस्य हैं।
हालाँकि, बिहार के सीएम इस बैठक में क्यों नहीं शामिल हुए इसके कारणों का पता नहीं चल सका है। सीएम नीतीश के अलावा INDIA गठबंधन से जुड़े राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने भी बैठक में हिस्सा नहीं लिया। बहिष्कार करने वाले मुख्यमंत्रियों में तमिलनाडु के सीएम एम के स्टालिन, केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन के साथ-साथ आम आदमी पार्टी की अगुवाई वाली पंजाब और दिल्ली सरकार शामिल हैं। इसके अलावा कर्नाटक के सीएम सिद्धरमैया, हिमाचल प्रदेश के सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू और तेलंगाना के सीएम रेवंत रेड्डी ने भी बैठक में शामिल न होने का फैसला लिया था।
बैठक का एजेंडा क्या है?
इस बैठक में विकसित भारत से जुड़े दृष्टिकोण पत्र पर चर्चा हुई। इस बैठक का उद्देश्य केंद्र एवं राज्य सरकारों के बीच सहभागी संचालन और सहयोग को बढ़ावा देना, वितरण तंत्र को मजबूत करके ग्रामीण और शहरी दोनों आबादी के लिए जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाना है. बैठक में पिछले साल दिसंबर में आयोजित मुख्य सचिवों के तीसरे राष्ट्रीय सम्मेलन की सिफारिशों पर भी गौर किया जाना शामिल रहा।
यह भी पढ़ें : कुपवाड़ा में सेना ने घुसपैठ की कोशिशों को नाकाम किया, एक पाकिस्तानी आतंकी ढेर
इस समिट के दौरान पांच प्रमुख विषयों पेयजल पहुंच, मात्रा और गुणवत्ता; बिजली गुणवत्ता, दक्षता और विश्वसनीयता; स्वास्थ्य पहुंच, सामर्थ्य और देखभाल की गुणवत्ता; स्कूली शिक्षा पहुंच और गुणवत्ता और भूमि और संपत्ति पहुंच, डिजिटलीकरण, पंजीकरण और उत्परिवर्तन पर सिफारिशें की गईं।