द लोकतंत्र : हरियाणा के नूंह में समाजसेवा और शिक्षा के क्षेत्र में सक्रिय रहा ‘अल-फलाह’ (Al-Falah) नेटवर्क अब राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों के सीधे रडार पर आ गया है। इस समूह का नाम न केवल हालिया दिल्ली कार ब्लास्ट (Delhi Car Blast) से जुड़ा है, बल्कि इस पर जैश-ए-मोहम्मद (Jaish-e-Mohammad) और अंसार गजवातुल-हिंद (Ansar Ghazwatul-Hind) जैसे आतंकी संगठनों के लिए मॉड्यूल (Module) चलाने का गंभीर आरोप भी लगा है।
11 नवंबर को अल-फलाह यूनिवर्सिटी (Al-Falah University), फरीदाबाद, में एनआईए (NIA) और पुलिस द्वारा की गई छापेमारी ने इस पूरे नेटवर्क की कार्यप्रणाली पर गहरा सवाल खड़ा कर दिया है।
जव्वाद सिद्दीकी: नेटवर्क का केंद्र बिंदु
इस पूरे मामले की सबसे चौंकाने वाली कड़ी यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति (चांसलर) जव्वाद अहमद सिद्दीकी हैं। सिद्दीकी ही नूंह में संचालित होने वाले ‘अल-फलाह चैरिटेबल ट्रस्ट’ के प्रमुख ट्रस्टी भी हैं। पुलिस और टीओआई (TOI) रिपोर्ट्स के अनुसार, यूनिवर्सिटी कैंपस का इस्तेमाल कथित तौर पर फंड जुटाने, रंगरूटों को कट्टरपंथी बनाने और विस्फोटक इकट्ठा करने के लिए “चैरिटेबल फ्रंट्स” और “यूनिवर्सिटी नेटवर्क” के रूप में किया जा रहा था।
दिल्ली ब्लास्ट में शामिल आतंकी डॉ. उमर नबी और फरीदाबाद मॉड्यूल का सरगना डॉ. मुजम्मिल, दोनों ही अल-फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़े थे। यह जुड़ाव इस बात को बल देता है कि शिक्षा की आड़ में एक गंभीर नेटवर्क सक्रिय हो सकता है।
ट्रस्ट की संरचना और कारोबारी साम्राज्य
‘अल-फलाह चैरिटेबल ट्रस्ट’, जो कागजों में नई दिल्ली के जामिया नगर (Jamia Nagar) पते पर पंजीकृत है और फलाह वाटर एड जैसी सामाजिक योजनाएं चलाता है, जांच एजेंसियों के अनुसार एक उलझी हुई कारोबारी संरचना रखता है। ट्रस्ट की छतरी के नीचे शरीक़ा पब्लिक स्कूल और मदरसे जैसे शैक्षणिक संस्थान चलाए जा रहे हैं, लेकिन ट्रस्ट के प्रमुख सिद्दीकी का नाम 1995-96 से ही आठ अलग-अलग व्यावसायिक कंपनियों जैसे अल-फलाह इन्वेस्टमेंट्स, एक्सपोर्ट्स, कंसल्टेंसी और एनर्जीज लिमिटेड से भी जुड़ा हुआ है।
पुराना दाग: ट्रस्ट की साख पर एक पुराना सवालिया निशान भी है। साल 2000 में एक रिपोर्ट में सिद्दीकी का नाम अल-फलाह इन्वेस्टमेंट्स से जुड़े एक कथित वित्तीय घोटाले में गिरफ्तारी के संदर्भ में आया था, हालांकि इस मामले के अंतिम परिणाम की सार्वजनिक पुष्टि उपलब्ध नहीं है।
अंतर्राष्ट्रीय और यूएई कनेक्शन
इस नेटवर्क के तार सिर्फ दिल्ली-हरियाणा तक सीमित नहीं हैं। ट्रस्ट की प्रमुख ट्रस्टी उस्मा अख्तर का नाम भी सामने आया है, जो अल-फलाह स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग की गवर्निंग बॉडी का हिस्सा रही हैं। उनकी लिंक्डइन (LinkedIn) प्रोफाइल के अनुसार, वह वर्तमान में संयुक्त अरब अमीरात (यूएई/UAE) में रहती हैं और वहां वस्त्र व इंटीरियर फिटिंग के कारोबार से जुड़ी हैं। उस्मा अख्तर का नाम भी अल-फलाह एजुकेशन सर्विस एलएलपी (LLP) जैसी कंपनियों में निदेशक के रूप में दर्ज है।
यह अंतर्राष्ट्रीय कनेक्शन जांच एजेंसियों के लिए फंड फ्लो और आतंकी नेटवर्क के विस्तार के संबंध में महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।
अल-फलाह नेटवर्क के खिलाफ यह खुलासा सामाजिक संगठनों और शैक्षणिक संस्थानों की आड़ में चल रहे गंभीर राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों की संभावनाओं पर प्रकाश डालता है। एनआईए की यह छापेमारी न केवल एक कानूनी कार्रवाई है, बल्कि यह धर्मार्थ संस्थाओं (Charitable Institutions) की वित्तीय पारदर्शिता और उनके वास्तविक उद्देश्यों के सत्यापन की आवश्यकता को भी रेखांकित करती है। सरकार और सुरक्षा एजेंसियों के लिए यह एक महत्वपूर्ण चुनौती है कि वे शिक्षा और समाजसेवा की पवित्र आड़ में चल रहे ऐसे राष्ट्रघाती मॉडल्स को जड़ से खत्म करें।

